मुख्तार अंसारी को लाने के लिए बांदा से आज पंजाब जाएगी पुलिस की टीम, एंबुलेंस भी रहेगी साथ

Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Apr, 2021 07:49 AM

police team will go from banda to punjab today to bring mukhtar ansari

उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को लाने के लिए बांदा से सोमवार को पुलिस की एक टीम पंजाब भेजी जाएगी। पंजाब के गृह विभाग ने अंसारी की हिरासत उत्तर प्रदेश सरकार को 8 अप्रैल तक रूपनगर जेल से....

बाराबंकी/बलिया/चंडीगढ़: उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को लाने के लिए बांदा से सोमवार को पुलिस की एक टीम पंजाब भेजी जाएगी। पंजाब के गृह विभाग ने अंसारी की हिरासत उत्तर प्रदेश सरकार को 8 अप्रैल तक रूपनगर जेल से लेने के लिए कहा है। इसके बाद, गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि उनके भाई की सुरक्षा अब न्यायपालिका और योगी आदित्यनाथ शासन की जिम्मेदारी है। मुख्तार अंसारी, यूपी में कई मामलों में वांछित हैं। वह कथित वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जिला कारागार में कैद हैं।

चित्रकूट रेंज (उप्र) के पुलिस महानिरीक्षक धाम के. सत्यनारायण ने बांदा में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें लाने के लिए सोमवार को बांदा से पुलिस की एक टीम भेजी जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अंसारी को किस जेल में रखा जाएगा, इस बारे में फैसला एक बैठक में लिया जाएगा। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, इलाहाबाद जोन, प्रेम प्रकाश ने कहा कि टीम सोमवार सुबह रवाना होगी और एक एंबुलेंस भी होगी। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को लिखे पत्र में पंजाब के गृह विभाग ने विचाराधीन कैदी अंसारी के स्थानांतरण के लिए उपयुक्त इंतजाम करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि जिला कारागार रूपनगर में कैदी को 8 अप्रैल को, या इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। उसमें कहा गया है कि अंसारी को कई बीमारियां भी हैं और रूपनगर जेल से उत्तर प्रदेश की जेल ले जाने का प्रबंध करने के दौरान इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।

बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई एवं गाजीपुर (उप्र) से सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि उनके उत्तर प्रदेश की जेल में आने पर सुरक्षा की जिम्मेदारी न्यायपालिका और राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की है। अदालत को उनके जीवन की रक्षा और उन्हें दी गई मेडिकल सुविधाओं की निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक के जीवन की सुरक्षा सरकार का फर्ज है। यह फर्ज दोगुना हो जाता है, जब वह कैदी न्यायिक अभिरक्षा में हो और चार गुना तब हो जाता है, जब राज्य सरकार याचिका दाखिल कर न्यायालय से गुजारिश करे कि मुकदमे की सुनवाई प्रभावित हो रही है।

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