...जब पंचायत सीट हुई महिला के लिए आरक्षित, तो शख्श ने अपनाया ये अनोखा पैंतरा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Apr, 2021 05:20 PM

person pledges to remain celibate for up panchayat elections

बलिया में एक अजब-गजब मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएगे। दरअसल प्रदेश में पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद दावेदार अपनी दावेदारी मजबूत करने जुटे हैं। हालांकि इस दौरान दावेदारों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा...

बलिया: बलिया में एक अजब-गजब मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएगे। दरअसल प्रदेश में पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद दावेदार अपनी दावेदारी मजबूत करने जुटे हैं। हालांकि इस दौरान दावेदारों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर उन सीटों पर जो महिला सीट के लिए आरक्षित हैं और ऐसी सीटों पर अविवाहित पुरुषों को जीवन साथी का इंतजाम भी करना पड़ रहा है।

जी हां दिलचस्प मामला बलिया जिले के मुरलीछपरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपरा का है। जहां प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए एक उम्मीदवार ने सालों पहले के अपने शादी ना करने के व्रत को तोड़ दिया। उम्मीदवार ने पिछली बार भी प्रधानी के चुनाव का पर्चा भरा था, लेकिन तब उसे जीत नहीं मिली और वह दूसरे स्थान पर रहा। इस बार फिर उसने ताल ठोकने का फैसला किया तो आरक्षण बाधा बनकर सामने खड़ा हो गया। ग्राम प्रधान की सीट महिला आरक्षित होने के बाद उम्मीदवार ने जो पैंतरा आजमाया, उसे देखकर इलाके के लोग हैरान रह गए। हाथी सिंह ने प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली।

दिलचस्प बात यह है कि इस विवाह को खर-मास के दौरान संपन्न कराया गया, जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। हाथी सिंह ने कहा कि मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी। उनकी पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं और अब वह अपनी पत्नी निधि सिंह को प्रधान पद पर मजबूती से चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं।

आपको बता दें कि 45 साल के हाथी सिंह बीते एक दशक से समाजसेवा में लगे हुए हैं। ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उन्होंने इस बार जमकर तैयारी की थी लेकिन जब रिजर्वेशन लिस्ट आई, तो उनकी उम्मीद टूट गई। उनके गांव की सीट महिला आरक्षित घोषित कर दी गई। अब परेशानी यह थी कि हाथी सिंह ने आजीवन शादी न करने का व्रत लिया था। हालांकि हाथी सिंह के समर्थकों ने उन्हें सुझाव दिया कि वह शादी कर लें, ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सके, जिसके बाद हाथी सिंह ने आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली। 

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