बकरियों में हेमोन्कोसिस रोकने के लिये पैरा चेक कार्ड तैयार: सिंह

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 08 Oct, 2018 04:09 PM

para check card ready to stop hemomnosis in goats

मथुरा उत्तर प्रदेश में मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान(आईसीएआर) को बकरियों में होनेवाले हेमोन्कोसिस रोग से बचाव एवं निदान के लिए एक पैरा चेक कार्ड तैयार करने में सफलता मिली है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने...

मथुराः मथुरा उत्तर प्रदेश में मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान(आईसीएआर) को बकरियों में होनेवाले हेमोन्कोसिस रोग से बचाव एवं निदान के लिए एक पैरा चेक कार्ड तैयार करने में सफलता मिली है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने रविवार को इस कार्ड का विमोचन करते हुये कहा कि बकरी पालकों के लिए यह कार्ड बहुत अधिक उपयोगी साबित होगा।

उन्होंने कहा कि बकरियों में हेमोन्कोसिस की चिकित्सा के लिए जो पैरा चेक कार्ड बनाया है। उसमें दी गई विधि को अपनाकर किसान स्वयं ही बकरी के कृमि रोग से ग्रसित होने के बारे में जान सकेगा तथा समय से उसकी चिकित्सा करा सकेगा। इससे किसान को बकरी का अधिक दूध और मांस प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने किसानों को बिचैलियों के चंगुल से मुक्त करने के लिए कानून बनाया है। अब किसान के उपज की सीधी खरीद ही की जा रही है और इसका सीधा लाभ किसानों को विशेषकर आलू उत्पादकों को मिलेगा।

सिंह ने कहा कि इसके लिये केन्द्र सरकार के बनाये कानून को अमल में लाने का काम राज्य सरकारों का है। गरीब किसानों को बकरी आदि नि:शुल्क देने का काम प्रदेश सरकार का है। केन्द्र सरकार प्रदेश सरकार को पैसा देती है जो आवश्यकता के अनुरूप उसे खर्च करती है। कृषि मंत्री ने संस्थान में सौर ऊर्जा संयंत्र का भी उद्घाटन किया तथा संस्थान की ओर से गरीब किसानों को पांच बकरियां और भेड़ पालने के लिए भी दिया और वृक्षारोपण भी किया।

आईसीएआर केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि बकरियों में हेमोन्कोसिस कन्टोस्टस एक अति महत्वपूर्ण परजीवी है जो लघु रोमन्थी पशुओं के उत्पादन को आर्थिक रूप से प्रभावित करता है। इस कार्ड के द्वारा बकरी के आंख के नीचे के हिस्से की लालिमा को देखकर उसके पेट में कृमि की उपस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है तथा बाद में कार्ड में दी गई विधि के अनुसार कृमिनाशी दवाएं दी जा सकती हैं।

उन्होंने बताया कि संस्थान एवं तेयूंम ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के बीच हुए करार के अनुसार इस सौर ऊर्जा संयंत्र के लगने से संस्थान को सालाना लगभग 16 दशमलव 79 लाख रूपए की बचत होगी। इस संयंत्र द्वारा पूरी तरह से ऊर्जा उत्पादन शुरू हो गया है। 
 

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