Edited By Ramkesh,Updated: 03 May, 2020 03:17 PM
लॉकडाउन का प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा पड़ रहा है जो असहाय और बुजुर्ग है। इस संकट की घड़ी में लोग अपना भरण- पोषण करने के लिए मजबूर है..
आगरा: काेराेना महामारी और लॉकडाउन के बीच ताजनगरी आगरा से एक दुखद खबर सामने आई है। यहां एक वृद्ध महिला सरकार द्वारा भेजी गई 500 रुपये की सहायता राशि लेने के लिए 50 किमी. पैदल चलकर बैंक पहुंची। लेकिन उसे यहां और भी मायूस हाेना पड़ा क्याेंकि उसके खाते में सरकार द्वारा भेजे पैसे ही नहीं आए थे।
बता दें कि फिरोजाबाद के थाना पचोखरा के गांव हिम्मतपुर निवासी 72 वर्षीय राधा पत्नी हरवीर आगरा के रामबाग में रहकर मजदूरी कर पेट पाल रही हैं। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो जाने से उनके पास रखे रुपये भी खत्म हो गए हैं। वृद्धा महिला को किसी ने बताया कि सरकार की ओर से महिलाओं के जन धन खाते में 500-500 रुपये डाले हैं। यह पता चलने पर वो भूख-प्यास की परवाह किए बिना ही आगरा के रामबाग से बैंक खाते से पांच सौ रुपये निकालने के लिए रात में ही पैदल चल पड़ी। 50 किलोमीटर पैदल चलकर वो शनिवार सुबह टूंडला के पचोखरा स्थित स्टेट बैंक शाखा पहुंच गईं। यहां उन्होंने अपना खाता दिखवाया। बैंक कर्मी ने खाता चेक करने के बाद बताया कि उनके खाते में रुपये नहीं आए हैं। यह सुनकर वो उदास हो गईं।
बुजुर्ग महिला ने बताया कि न तो उन्हें वृद्धा पेंशन मिल रही है और न ही कोई राशन कार्ड है। ऊपर से पांच सौ रुपये भी उसके खाते में नहीं डाले। वो हताश होकर पैदल ही आगरा लौट गईं। सरकार को ऐसे लोगों की जरूर मदद करनी चाहिए क्योंकि महिला हकीकत में बेहद मजबूर है। कुछ लोग लॉकडाउन में झूठ बोल कर राशन या अन्य सामान सरकार से लेकर इन गरीब मजदूरों का हक मारते है। यह समाज को सोचने की जरूरत है।