Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 03:37 PM
उत्तर प्रदेश में चल रहे नगरीय निकाय चुनाव में मतदाता सूचियों से तमाम मतदाताओं के नाम नहीं होने पर आम और खास लोगों ने इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया है। चुनाव के दूसरे..
लखनऊः उत्तर प्रदेश में चल रहे नगरीय निकाय चुनाव में मतदाता सूचियों से तमाम मतदाताओं के नाम नहीं होने पर आम और खास लोगों ने इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया है। चुनाव के दूसरे चरण में कल हुए मतदान में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र, राज्य के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह, पूर्व चुनाव आयुक्त कृष्णमूर्ति, वाराणसी में 2014 में नरेन्द्र मोदी के चुनाव में प्रस्तावक रहे वीरभद्र निषाद का भी नाम सूची से गायब मिला। इनके अलावा हजारों लोगों ने इसकी शिकायत की।
सैकड़ों लोगों को तो मतदान केन्द्र पर जाने पर पता चला कि उनका नाम सूची में नहीं है, हालांकि वे चुनाव आयोग का पहचान पत्र साथ ले गये थे फिर भी वोट देने से वंचित रह गये। मथुरा में तो एक ही मतदेय स्थल से एक सौ लोगों का नाम कटा मिला। लखनऊ के वार्ड नंबर-24 छितवापुर में किराएदारों का नाम मतदाता सूची में रहने लेकिन मकान मालिक का नाम गायब होने का दिलचस्प मामला भी सामने आया।
मतदाता सूचियों में तमाम मतदाताओं का नाम नहीं होने पर राज्य चुनाव आयोग ने कड़ी नाराजगी जताई। हालांकि चुनाव आयुक्त एस के अग्रवाल ने यह भी कहा कि सूची में नाम बढ़वाने की जिम्मेदारी मतदाता की भी है।व्यापक पैमाने पर मतदाताओं का नाम सूची से गायब रहने की चहुंओर आलोचना हो रही है। कई लोगों ने तो इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया। उनका कहना है कि जब वोट ही नहीं देने को मिलेगा तो कैसा लोकतंत्र और कैसा मतदान। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मिश्र ने कहा कि मतदाता सूचियों से नाम गायब होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। लोकतंत्र का एक तरह से आधार मतदाता सूची ही है। उनका कहना था कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं होने की शिकायत नहीं करेंगे लेकिन हर मतदाता चाहता है कि उसे मताधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
लखनऊ में छितवापुर के सुरेश पाल ने कहा कि मुझे तो मतदान केन्द्र पर जाने पर पता चला कि उनका नाम सूची से काट दिया गया है जबकि मैंने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मतदान किया था। मतदाता सूची में जब नाम ही नहीं रहेगा तो कैसा लोकतंत्र और कैसा मतदान। बेहसा की पूजा सिंह ने कहा मैं तो वोट देने के लिए तैयार बैठी थी कि मेरे पति ने बताया मेरा तो वोट ही नहीं है। सूची से नाम गायब है। सूची में नाम होता तो वोट जरुर देती क्योंकि लोकतंत्र में चुनाव को मैं त्यौहार से कम नहीं मानती।