Edited By Ajay kumar,Updated: 07 May, 2020 09:09 AM
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मथुरा के जिलाधिकारी को वृंदावन में कथित तौर पर पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर यमुना रिवरफ्रंट पर निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
नयी दिल्ली/मथुरा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मथुरा के जिलाधिकारी को वृंदावन में कथित तौर पर पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर यमुना रिवरफ्रंट पर निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने जिलाधिकारी को 31 अगस्त तक ई-मेल के जरिए रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
अधिकरण ने यह निर्देश तब दिया, जब वृंदावन विकास प्राधिकरण ने उन्हें सूचित किया कि यह क्षेत्र सिंचाई विभाग के नियंत्रण में है और वहां किसी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं थी। हालांकि, कुछ अस्थायी झोपड़ियां बनी हुई थीं।
रिपोर्ट में कहा गया, ' लोक निर्माण विभाग ने केशी घाट के पास एक पुल का निर्माण शुरू किया था, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद हटाया गया था। इससे पहले, अवैध रूप से एक मंदिर बनाया गया था, जिसके खिलाफ कार्यवाही शुरू की जा रही है। अस्थायी झोपड़ियों को समय-समय पर हटाया जाता है।'
अधिकरण ने उल्लेख किया कि रिपोर्ट में संलग्न तस्वीरें निर्माण दिखाती हैं, जिसके तहत आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
अधिकरण ने कहा, ' यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त तंत्र तैयार करना भी आवश्यक हो सकता है कि बाढ़ क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं हो ताकि नदी के बहाव पर किसी भी तरह का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।' अधिकरण पर्यावरण कार्यकर्ता आकाश वशिष्ठ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर कर रहा था, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की एक परियोजना के चलते बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लगाया है।