आखिर क्यों उमा भारती ने दी अनशन पर बैठने की चेतावनी?

Edited By ,Updated: 08 Jun, 2016 12:28 PM

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नदी जोडो परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को वन्यजीव मंजूरी मिलने में विलंब से क्षुब्ध जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने चेताया कि...

नई दिल्ली:  नदी जोडो परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को वन्यजीव मंजूरी मिलने में विलंब से क्षुब्ध जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने चेताया कि अगर लाखों लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने वाली इस परियोजना को पर्यावरणविदों, एन.जी.आे. की हिस्सेदारी वाली स्वतंत्र वन्यजीव समिति की मंजूरी में आगे कोई अड़चन आई तो वह ‘अनशन’ पर बैठ जाएंगी।

उमा भारती ने केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस परियोजना में देरी करना राष्ट्रीय अपराध है। जब मैं इसे राष्ट्रीय अपराध कह रही हूं तो मेरा कहना है कि इस परियोजना से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों प्रदेशों के बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा जिन्हें पानी की कमी, फसल खराब होने एवं अन्य कारणों से दिल्ली और अन्य महानगरों में पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है। उन्हें महानगरों में बदतर जिंदगी गुजारने और मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के आगे बढऩे से अन्य 30 नदी जोड़ो परियोजनाआें को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा। उमा ने कहा कि पिछले काफी समय से इस परियोजना को वन्यजीव समिति की मंजूरी नहीं मिल पाई है जबकि मंत्रालय ने हरएक बिन्दु को स्पष्ट कर दिया है, उस क्षेत्र में सार्वजनिक सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस विषय पर पर्यावरण मंत्रालय अथवा मंत्री प्रकाश जावडेकर से कोई मतभेद नहीं है। बल्कि एक एेसी समिति जिसमें कोई राजनैतिक व्यक्ति नहीं है, न कोई मंत्री है और कोई सांसद सदस्य है, वह समिति इसे मंजूरी नहीं दे रही है जबकि केन बेतवा नदी क्षेत्र के लोग इसके पक्ष में हैं।

उन्होंने चेताया कि अगर अगली कोई अड़चन आई तो मैं अनशन पर बैठ जाउंगी। मैं बुंदेलखंड के लोगों का भी इस अनशन में हिस्सा लेने के लिए आह्वान करूंगी । नदी जोड़ो परियोजना नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है और इसे पूरा किया जाएगा। केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से जुड़े बांध की उंचाई कम करने के बारे में एक सवाल के जवाब में उमा ने कहा कि उंचाई के विषय पर कोई समझौता नहीं होगा । इस परियोजना से 70 लाख लोगों को फायदा होगा । जबकि 7 हजार लोग प्रभावित होंगे और वे दूसरी जगह जाने को तैयार है क्योंकि वे जिस क्षेत्र में रह रहे हैं, वह अधिसूचित क्षेत्र है और उन्हें कई समस्याएं आती हैं। 

उमा भारती ने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र में पन्ना रिजर्व से जुड़े विषय पर ध्यान दिया है और वह बाघ एवं गिद्धों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।  इस बारे में कुछ पर्यावरणविदों की आपत्तियों पर तीखा प्रहार करते हुए उमा ने कहा कि अगर इनको पर्यावरण की चिंता है, तो चिडिय़ाघरों पर आपत्ति क्यों नहीं उठाते । चिडिय़ाघरों की जरूरत क्या है ?  

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो देश की विभिन्न नदियों को आपस में जोडऩे की 30 योजनाआें का सपना आंख खोलने लगेगा। परियोजना को लेकर दो तरह के मत हैं जिसमें एक वर्ग का कहना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ से बरबाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को लहलहायेगा। लेकिन यहीं सवाल उठता है कि क्या केन में इतना पानी है कि रास्ते में उपयोग के बाद अधिशेष पानी बेतवा को दिया जा सकेगा।

डी.पी.आर. के मुताबिक, उत्तरप्रदेश को केन नदी का अतिरिक्त पानी देने के बाद मध्यप्रदेश करीब इतना ही पानी बेतवा की उपरी धारा से निकाल लेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा। इस प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से। यहां पर दो बिजली संयंत्र भी बनाने का प्रस्ताव है। परियोजना के तहत 220 किलोमीटर लम्बी नहर भी निकालने की बात कही गई है जो मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से गुजरेगी।

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