Edited By Ruby,Updated: 23 Jul, 2019 12:36 PM
लखीमपुरः ''पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने सपनों को, उनके किस्मत के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।'' कुछ ऐसा ही कारनामा लखीमपुर में एक मां-बेटे ने कर दिखाया है। यहां एक मां ने बकरीयां बेच कर अपने बेटे को जज बना दिया है। बेटे की इस उपलब्धि और मां...
लखीमपुरः 'पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने सपनों को, उनके किस्मत के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।' कुछ ऐसा ही कारनामा लखीमपुर में एक मां-बेटे ने कर दिखाया है। यहां एक मां ने बकरियां बेच कर अपने बेटे को जज बना दिया है। बेटे की इस उपलब्धि और मां की मेहनत की आज चारों तरफ वाह-वाही हो रही है। हर कोई इस मां-बेटे की मेहनत को सलाम कर रहा है। साथ ही बधाई देने वालों का घर में तांता लगा हुआ है।
दरअसल, असगर अली लखीमपुर जिले के मूसेपुर गांव के बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। इनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं है, लेकिन मां का बेटे को कुछ बनाने के सपने ने असगर को आज बुलंदियों पर खड़ा कर दिया है। मां का सपना था कि उसका बेटा कुछ कर दिखाए जिससे कि समाज और लोग उसकी वाह-वाही करें। वहीं असगर ने भी कड़ी मेहनत कर अपनी मां का सपना पूरा कर दिखाया है। असगर ने सभी मुश्किलों को पार करते जज की परीक्षा पास कर ली है और उसका पीसीएस-जे में चयन हो गया है। फिलहाल असगर बनारस में पीएचडी कर रहे हैं। बेटे ने बताया कि उसकी मां घर में पली बकरियां बेचकर उसकी फीस भरती रही हैं। वहीं बेटे की इस उपलब्धि से पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।
भाई ने वो कर दिखाया जो पूरे खानदान ने नहीं किया
जज असगर के भाई का कहना है कि हमारे पूरे खानदान में कभी कोई जज बनना तो दूर की बात किसी को कोई सरकारी नौकरी तक नहीं मिली है। हमारे भाई ने आज वो कर दिखाया है जो हमारे परिवार में आजतक किसी ने नहीं किया है। असगर के बड़े भाई का कहना है कि जज की उपलब्धि पाकर उसने हमारे समाज पूरे क्षेत्र में नाम रोशन कर दिया है। भाई के इस कारनामे से सभी में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। भगवान ऐसे बच्चे सभी को दे। असगर के जज बनने की खुशी में लोग दूर-दराज से आकर मां को बधाई दे रहे हैं।