एक्सप्रेस-वे हादसों में एक साल में 250 से ज्यादा की मौत, ड्राइवरों का होगा ‘ब्रीद एनालाइजर टेस्ट’

Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 Jul, 2019 02:47 PM

more than 250 deaths in expressway accidents in a year

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के निर्माण का मकसद सफर के वक्त को कम करना था, लेकिन तेज रफ्तार, लापरवाही और टायर फटने जैसी घटनाओं के कारण यह लोगों की जिंदगी के सफर को खत्म कर रहे हैं।

लखनऊ: लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के निर्माण का मकसद सफर के वक्त को कम करना था, लेकिन तेज रफ्तार, लापरवाही और टायर फटने जैसी घटनाओं के कारण यह लोगों की जिंदगी के सफर को खत्म कर रहे हैं। एक्सप्रेस-वे पर हादसों में बीते वित्त वर्ष 250 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दुर्घटनाओं को कम करने के उपायों के तहत लंबी दूरी की बसों में 2 ड्राइवर रखने तथा ड्राइवरों का ब्रीद एनालाइजर टेस्ट कराने का फैसला किया गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार के आंकडों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर 123 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 130 लोगों की जान गई जबकि लगभग 250 लोग घायल हुए। इसी अवधि में यमुना एक्सप्रेस-वे पर 162 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 145 लोगों को जान गंवानी पड़ी जबकि लगभग 200 लोग घायल हुए। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि पिछले दिनों एक्सप्रेस-वे पर हुए बस हादसे के बाद हुई समीक्षा में पाया गया कि वाहनों की रफ्तार, रात में ड्राइवरों को नींद आना और टायर फटना हादसों की प्रमुख वजह है।

उल्लेखनीय है कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर 8 जुलाई को उत्तर प्रदेश राज्य सडक परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की जनरथ बस की दुर्घटना में 29 लोगों की जान गई थी। इसी संदर्भ में यमुना एक्सप्रेस-वे पर होने वाले हादसों को लेकर बीएसपी विधायक सुकदेव राजभर ने दो दिन पूर्व विधानसभा में सवाल उठाया था। सरकारी आंकडे बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष (2019—20) में अब तक लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर लगभग 54 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 65 से अधिक लोगों की मौत हो गई जबकि यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी 54 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 75 से अधिक लोगों की जान गई।

राज्य सरकार के प्रवक्ता एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे दुर्घटना के बाद सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए बनी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है । समिति ने लंबी दूरी पर चलने वाले ड्राइवरों का 'ब्रीद एनालाइजर' टेस्ट कराने की सिफारिश की है। ब्रीद एनालाइजर खून में एल्कोहल की मात्रा का पता लगाने वाला उपकरण है । संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में कहा कि समिति की उक्त सिफारिश को सरकार ने मान लिया है। 16 महीने में हुए हादसों को देखें तो इनमें यूपी रोडवेज की बसों के कारण हुई दुर्घटनाओं में 49 लोगों की जान गई। महाना ने कहा कि परिवहन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली बसों में 2 ड्राइवर भेजने की व्यवस्था की जाए। 100 किलोमीटर की दूरी तय होने के बाद ड्राइवर के लिए आधे घंटे का आराम सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे पर ब्रेकर लगाने का नियम नहीं है लेकिन सडक दुर्घटनाएं रोकने के लिए हर 15 किलोमीटर पर 'रंबल स्ट्रिप' लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।

महाना ने कहा कि नशे में गाड़ी चलाने वालों के लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे। इस बीच परिवहन निगम के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित 286 बस स्टेशनों पर ब्रीद एनालाइजर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि कि अगर कोई ड्राइवर चेकिंग के दौरान नशे में पाया गया तो उसे तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा जबकि संविदा ड्राइवर की सेवा वहीं मौके पर समाप्त कर दी जाएगी । महाना ने बताया कि एक्सप्रेस-वे के साथ अन्य मार्गों पर अधिकतम रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है। इसका उल्लंघन करने पर चालान किया जाएगा। रास्ते में गति मापने वाले कैमरे लगाए गए हैं। राज्य सरकार ने दुर्घटना के आंकडे विधानसभा में भी पेश किए हैं और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी है ।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!