Edited By Anil Kapoor,Updated: 19 Jul, 2019 12:20 PM
अवैध खनन मामले में एनजीटी द्वारा लगाए गए ढाई करोड़ के जुर्माने के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान स्टोन क्रेशर के मालिक को राहत दी है हालांकि इसी मामले में पट्टेदार अमित जैन व एमएलसी महमूद अली पर अभी भी 50-50 करोड़ का जुर्माना कायम है।
सहारनपुर: अवैध खनन मामले में एनजीटी द्वारा लगाए गए ढाई करोड़ के जुर्माने के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान स्टोन क्रेशर के मालिक को राहत दी है हालांकि इसी मामले में पट्टेदार अमित जैन व एमएलसी महमूद अली पर अभी भी 50-50 करोड़ का जुर्माना कायम है। जिनके बैंक खाते कुर्क होंगे जबकि 150 करोड़ के पट्टेदार वाजिद, विकास व दिलशाद को भी इस जुर्माने से राहत दी गई है।
अवैध खनन के मामले में गुरप्रीत सिंह बग्गा ने एनजीटी में शिकायत दाखिल की थी जिस पर एनजीटी ने 18 फरवरी 2016 के आदेश से पट्टेदार अमित जैन, महमूद अली, नसीम अहमद, विकास अग्रवाल व दिलशाद पर 50-50 करोड़ तथा प्रधान स्टोन क्रेशर पर ढाई करोड़ का जुर्माना लगाया था।
एनजीटी के इस आदेश के खिलाफ प्रधान स्टोन क्रेशर के मालिक नौशाद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि वह तो केवल स्टोन क्रेेशर का स्वामी है ना कि खनन पट्टेदार है। उसे अवैध खनन के लिए दोषी इसलिए भी नहीं माना जा सकता क्योंकि उसके पास खनन का अधिकार ही नहीं है। इसके अलावा एनजीटी ने यह सब यमुना नदी से सटे पट्टे धारकों पर पर्यावरण विरुद्ध कार्य करने के लिए अर्थदंड लगाया था जबकि प्रधान स्टोन क्रेशर यमुना नदी से 30 किलोमीटर दूर सोनाली नदी पर है।
नौशाद ने बताया कि उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद 3 न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 16 जुलाई को उसका तर्क स्वीकार करते हुए एजीटी द्वारा आरोपित ढाई करोड़ के जुर्माने को हटा दिया गया। साथ ही सोनाली नदी के पट्टेदार वाजिद अली, दिलशाद व विकास अग्रवाल को भी इसी आधार पर राहत मिली की कि उनका पट्टा भी यमुना नदी से 30 किलोमीटर दूर है। वहीं इसी मामले में महमूद अली व अमित जैन को इसी अदालत ने कोई राहत नहीं दी है।