Edited By Ruby,Updated: 20 Jan, 2019 02:32 PM
लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे हैं। प्रदेश में राजनीति के हाशिये पर पहुंची कांग्रेस ने खुद को उबारने के लिए वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ...
लखनऊः लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे हैं। प्रदेश में राजनीति के हाशिये पर पहुंची कांग्रेस ने खुद को उबारने के लिए वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया था मगर इसके निराशाजनक परिणाम सामने आए थे और पार्टी अब तक के इतिहास में सबसे कम सीटों पर सिमट गई थी।
पार्टी कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि खुद के बूते लोकसभा चुनाव में उतरने के फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ना तय है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्र में मिली जीत से ही संतोष करना पड़ा था जबकि करीब एक दर्जन सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस राज्य में पुन:प्रवर्तन के रास्ते पर निकल पड़ी है। वर्ष 2004 और 2009 में कांग्रेस का प्रदर्शन प्रदेश में ठीकठाक था और 2019 में पार्टी सभी को चौकाने के लिए कमर कस चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा विरोधी लहर चरम पर है। लोग महसूस करते है कि केन्द्र में भाजपा का एकमात्र विकल्प कांग्रेस है।