Edited By Umakant yadav,Updated: 28 Jul, 2021 12:32 PM
दिल्ली में काम छूटने के बाद पैसों की तंगी और भुखमरी के शिकार दंपति पैदल ही भोपाल स्थित घर के लिए रवाना हो गए, लेकिन आठ दिन लगातार पैदल चलने से महिला की हालत खराब हो गई और मंगलवार को आगरा की सड़क पर उसके साथ चल रहे पति को रोते देखा गया।
आगरा: दिल्ली में काम छूटने के बाद पैसों की तंगी और भुखमरी के शिकार दंपति पैदल ही भोपाल स्थित घर के लिए रवाना हो गए, लेकिन आठ दिन लगातार पैदल चलने से महिला की हालत खराब हो गई और मंगलवार को आगरा की सड़क पर उसके साथ चल रहे पति को रोते देखा गया। अपनी परेशानी को बयां करते हुए 40 वर्षीय रमेश ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों की सलाह पर वह अपनी पत्नी किरण (38) को एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए लेकिन वहां पैसे की मांग की गई जिसकी वजह से वह उसे भर्ती नहीं करा पाए।
मालिक ने न तो हमें काम दिया और न ही बकाया रुपये
उन्होंने बताया कि कुछ स्थानीय मीडियाकर्मियों के हस्तक्षेप के बाद अंतत: पत्नी को भर्ती किया गया। हालांकि, एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ.मृदुल चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। मैं पता करूंगा कि किसने उनकी पत्नी को भर्ती करने से मना किया।’’ रमेश ने बताया कि वह पिछले एक साल से दिल्ली में निर्माण स्थल पर मजदूरी करता थे। उन्होंने बताया, ‘‘निर्माण कंपनी के सुपरवाइजर ने काम दिलाने में मदद की। पहले लॉकडाउन में मैं जिंदा रहा क्योंकि उन्होंने वित्तीय मदद भी की लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद मालिक ने न तो हमें काम दिया और न ही बकाया रुपये। जो थोड़ी बहुत बचत थी वह भी खत्म हो गई।’’
किरण की तबीयत ठीक होने पर वह आगे का सफर करेंगे
रमेश ने कहा कि इसके बाद हमने भोपाल वापस जाने का फैसला किया, मथुरा पहुंचने पर किरण की तबीयत खराब होनी शुरू हुई, क्योंकि दोनों ने ठीक से खाना नहीं खाया था और स्थानीय लोगों की दया पर जिंदा थे। मंगलवार को वे जब आगरा पहुंचे तक किरण की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उन्होंने कहा कि किरण की तबीयत ठीक होने पर वह आगे का सफर करेंगे।