Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 02:10 PM
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो योगी के मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ नेताओं को जगह मिल सकती है...
लखनऊ(अनिल सैनी): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो योगी के मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ नेताओं को जगह मिल सकती है। योगी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए थे, जो मंत्रियों की अनुभवहीनता का शिकार हो चुके हैं। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी कैबिनेट का विस्तार कर इस समस्या को सुलझा सकते हैं।
MLC के रास्ते विधानसभा जाएंगे मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री
बता दें कि सपा और बसपा से जो सीटें खाली हुई हैं, उनमें से 5 सीटें सीएम योगी ने दोनों उप-मुख्यमंत्री और मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा के लिए रखी है। बाकी बची सीटों पर भाजपा उन वरिष्ठ नेताओं को एमएलसी बना सकती है, जो योगी सरकार के कैबिनेट विस्तार में शामिल किए जाएंगे।
विपक्ष के संपर्क में MLC, विधानपरिषद में आ सकते है कई इस्तीफे
मौजूदा समय में विपक्ष के 3-4 एमएलसी लगातार भाजपा के संपर्क में बने हुए हैं।जिसके बाद ऐसी उम्मीद है कि जल्द ही विधानपरिषद में और इस्तीफे आ सकते हैं।भाजपा की रणनीति यह है कि पार्टी सीधे चुनावों में जाने से बच रही है। जिसकी वजह शायद यह है कि 4 महीने में ही सरकार के खिलाफ काफी विरोध देखने को मिल रहा है।जिसे देखते हुए भाजपा फिलहाल कोई खतरा उठाना नहीं चाहती है।
जो चुनाव हारे और जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन्हें मिलेगा पद
योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ नेताओं को शामिल करेगी। इन वरिष्ठ नेताओं में ज्यादातर वे नेता होंगे जो चुनाव में हार गए हैं, या जिन्हें चुनाव में पार्टी की ओर से टिकट नहीं मिल पाया था। एमएलसी के लिए 5 के अलावा जो पद खाली होंगे उनसे भाजपा को ही फायदा पहुंचेगा।
पहली बार मंत्री बने हैं ये नेता
सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले वे गोरखपुर से 5 बार सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य, मोहसिन रजा और स्वतंत्र देव सिंह भी पहली बार मंत्री बने हैं। गौरतलब है कि ये 5 यूपी के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
शिवपाल आैर नसीमुद्दीन से भाजपा काे हाे सकता है फायदा
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव अपनी पार्टी बना चुके हैं। जिसकी नाराजगी अभी भी उनमें है।वहीं बसपा से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी हाथ धोकर बसपा के पीछे पड़े हैं आैर उसे गिराने में लगे हुए हैं। शिवपाल और नसीमुद्दीन अपना अलग मोर्चा बना सकते हैं। जिसके बाद वे विपक्ष को ही कमजोर करने का काम करेंगे। ऐसे में भाजपा को सदन में अपने बहुमत का बहुत अधिक फायदा मिलने वाला है।