मेरठ: आजादी का अमृत महोत्सव रहा काफी उत्साह भरा, क्षेत्रीय गांधी आश्रम में 10 हजार से अधिक राष्ट्रीय ध्वज बिके

Edited By Ramkesh,Updated: 16 Aug, 2022 11:47 AM

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मेरठ: देश भर में कल 75वां स्वतंत्र दिवस मनाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर शासन-प्रशासन काफी सावधान रहा। वहीं, उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रशासन द्वारा विशेष पहल की गई ताकि सभी घरों में तिरंगा शान से फहरे।

मेरठ: देश भर में कल 75वां स्वतंत्र दिवस मनाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर शासन-प्रशासन काफी सावधान रहा। वहीं, उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रशासन द्वारा विशेष पहल की गई ताकि सभी घरों में तिरंगा शान से फहरे। यहां ज्यादातर लोग तिरंगा लेने के लिए क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम ही पहुंचे।

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बीते सोमवार आजादी के अमृत महोत्सव में जिले में काफी उत्साह देखने के मिला। क्षेत्रीय गांधी आश्रम में भारी संख्या में भीड़ देखने को मिली। गांधी आश्रम में इस बार लोगों ने 10 हजार से अधिक संख्या में राष्ट्रीय ध्वज खरीदे। वहीं, क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के मैनेजर संजीव कुमार ने बताया कि हमें उम्मीद नहीं थी कि इस प्रकार से लोगों में राष्ट्रीय ध्वज खरीदने का उत्साह देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि पिछले साल तक 15 अगस्त के दिन तक 2 हजार राष्ट्रध्वज क्षेत्रीय गांधी आश्रम से खरीदे जाते थे, लेकिन इस साल अब तक यानी 13 अगस्त तक ही संख्या 10 हजार को पार हो चुकी थी।

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संजीव कुमार ने बताया कि अन्य संस्थाओं के माध्यम से खादी के राष्ट्रीय ध्वज बनवाना पड़ा। अक्सर खादी के प्रति लोगों का रुझान देखने को नहीं मिलता, लेकिन राष्ट्रध्वज खरीदने के लिए लोग क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम पहुंचते दिखे। इससे जहां एक तरफ गांधी आश्रम में राजस्व में वृद्धि हो रही है। वहीं, इससे जुड़े उन लोगों को भी काफी फायदा हो रहा है, जिनकी आजीविका गांधी आश्रम पर ही निर्भर करती है।

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गौरतलब है कि देश का पहला राष्ट्रीय ध्वज जो 16 अगस्त 1947 को फहराया गया था। वह यहीं रातों रात क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में ही तैयार किया था। तब से यह सिलसिला लगातार जारी है। पीढ़ियां बदलती गईं लेकिन क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम ने ना अपनी पहचान बदली और ना ही अपना काम बदला। यहां आज भी खादी को बनाने के लिए चरखे का ही उपयोग किया जाता है। यहां बने एक झंडे के कीमत ₹175 से शुरू होकर हजारों तक होती है। यहां बने तिरंगे की कीमत और क्वालिटी काफी अलग होती है। 

 

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