BJP के ‘दलित’ प्रेम का मायावती ने निकाला ‘ताेड़’, अपने खास सेनापति काे साैंपी ये जिम्मेदारी

Edited By Ruby,Updated: 31 Aug, 2018 02:10 PM

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पिछले लोकसभा चुनाव में बिना एक भी सीट पाए बुरी तरह मात खा चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2019 के चुनाव में अपनी पैंठ बनाने के लिए अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है। वहीं बीजेपी द्वारा खेले जा रहे दलित कार्ड पर भी मायावती की पैनी नजर बरकरार है। इसी वजह...

लखनऊः पिछले लोकसभा चुनाव में बिना एक भी सीट पाए बुरी तरह मात खा चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2019 के चुनाव में अपनी पैंठ बनाने के लिए अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है। वहीं बीजेपी द्वारा खेले जा रहे दलित कार्ड पर भी मायावती की पैनी नजर बरकरार है। इसी वजह से मायावती ने अपना पूरा ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर रखा है। 

इसी कड़ी में मायावती ने पार्टी नेताओं को पश्चिमी यूपी से ग्राउंड रिपोर्ट तलब की है। इसकी जिम्मेदारी उन्होंने अपने खास सेनापति और प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को दी है। बताया जा रहा है कि कुशवाहा एक सितम्बर से पश्चिम यूपी के अलग-अलग मंडलों में संगठन के लोगों से खुली चर्चा करेंगे।

जानिए पूरा कार्यक्रम
पार्टी की ओर से तय कार्यक्रम के मुताबिक, कुशवाहा 1 व 2 सितंबर को आगरा मंडल में रहेंगे। इसके बाद 3 व 4 सितंबर को अलीगढ़, 6 व 7 को बरेली मंडल और 8 व 9 को मुरादाबाद मंडल के जिलों में बीजेपी की मजबूती व कमजोरी की खोज करेंगे। कुशवाहा इसके बाद 13 व 14 सितंबर को सहारनपुर मंडल तथा 15 और 16 सितंबर को मेरठ मंडल में रहेंगे। दोनों दिन बूथ और सेक्टर स्तर तक के कार्यकर्ता से वार्ता करेंगे। कुशवाहा इसके बाद 17 से 29 सितंबर तक पूर्वी उत्तर प्रदेश का रुख करेंगे। यहां उनका दौरा आजमगढ़, वाराणसी व मिर्जापुर मंडल का रहेगा। इसी दौरान कानपुर, झांसी तथा चित्रकूट मंडल में भी वह कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर ही बसपा  आगे की रणनीति बनाएगी। 

मायावती के लिए इसलिए है पश्चिम यूपी खास 
सूत्रों के मुताबिक मायावती पश्चिम यूपी में मुस्लिम दलित और पिछड़ों को साधने की जुगत में हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि वर्ष 2007 में जब बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी तो उसके सबसे ज्यादा विधायक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही जीते थे। इसके अलावा मायावती का सियासी सफर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ था। उन्होंने पहला चुनाव 1984 में कैराना से लड़ा था। वर्ष 1985 में वह बिजनौर लोकसभा सीट के उपचुनाव व 1987 में हरिद्वार (अविभाजित यूपी) से उपचुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं।बाद में मायावती वर्ष 1989 में बिजनौर से सांसद बनीं। वर्ष 1996 और 2002 में वह सहारनपुर की हरौड़ा (सहारनपुर देहात) सीट से विधायक बनीं।
 

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