चुनावी रणनीति को धार देने में मायावती कर रही हैं 2 दिन के चुनाव प्रचार प्रतिबंध का उपयोग

Edited By Ruby,Updated: 17 Apr, 2019 06:34 PM

mayawati is using two day electoral strategy

लखनऊ: चुनाव प्रचार पर 48 घंटे के चुनाव आयोग के प्रतिबंध लगने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने इस संक्षिप्त ''ब्रेक'' का उपयोग पार्टी नेताओं से प्रतिक्रिया जानने और चुनावी रणनीति को धार देने में किया। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की...

लखनऊ: चुनाव प्रचार पर 48 घंटे के चुनाव आयोग के प्रतिबंध लगने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने इस संक्षिप्त 'ब्रेक' का उपयोग पार्टी नेताओं से प्रतिक्रिया जानने और चुनावी रणनीति को धार देने में किया। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, ''एक भी सेकण्ड बेकार नहीं जा रहा है। वह (मायावती) एक के बाद एक बैठकें कर रही हैं। पार्टी नेताओं और संयोजकों से चुनावों के बारे में प्रतिक्रिया ले रही हैं।'' उन्होंने बताया कि इन दो दिनों में मायावती ने बैठकें कीं और आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को लेकर जमीनी हालात का भी जायजा लिया। 

बसपा नेता ने कहा कि इन दो दिनों में उन मुद्दों पर चर्चा हो सकी, जो व्यस्त चुनाव प्रचार के कारण नहीं उठ पा रहे थे। चुनाव रणनीति को धार देने के मकसद से पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश भी दिए गए। उन्होंने कहा कि 48 घंटे की समयसीमा समाप्त होने के बाद मायावती फिर से प्रचार में जुट जाएंगी। गुरूवार को वह बिहार में रहेंगी और शुक्रवार को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निर्वाचन क्षेत्र मैनपुरी में गठबंधन की संयुक्त रैली करेंगी। मैनपुरी को खासा महत्व दिया जा रहा है क्योंकि 1995 से तल्ख संबंध रखने वाले मुलायम और मायावती के एक मंच पर साथ नजर आने की उम्मीद है। मायावती ने गत सात अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में चुनावी रैली के दौरान खासकर मुस्लिम समुदाय से वोट मांगा, जिसे आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए सोमवार को किसी भी चुनावी गतिविधि में शामिल होने पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया।

बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, ''उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में अली और बजरंगबली की बात करके लोगों को धर्म के नाम पर बांटने का भरपूर प्रयास किया। इससे जनता थोड़ी गुमराह भी हुई थी।'' उन्होंने कहा, ''... लेकिन लोगों को गुमराह होने से बचाने के लिए चुनाव आचार संहिता का पूरा ध्यान रखते हुए मायावती को मजबूरी में अपनी एक चुनावी जनसभा में ये बताना पड़ा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दो धर्मों के बीच नफरत पैदा करके इस चुनाव को जीतना चाहते हैं। इनके बहकावे में जनता को कभी नहीं आना है।'' मिश्रा ने कहा कि दोनों के बारे में बसपा का हमेशा से मानना रहा है कि हमारे तो अली भी हैं और बजरंगबली भी हैं। दोनों में से कोई भी गैर नहीं है इसलिए हमें अली भी चाहिए और बजरंगबली भी चाहिए। उन्होंने मायावती के प्रचार पर लगे प्रतिबंध को अनुचित एवं असंवैधानिक करार दिया ।

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