Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 31 Jan, 2021 01:26 PM
उत्तर प्रदेश स्थित संगमनगरी प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास की शुरुआत हो गई है । तंबुओं के शहर में कोविड गाइडलाइन्स
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश स्थित संगमनगरी प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास की शुरुआत हो गई है । तंबुओं के शहर में कोविड गाइडलाइन्स का पालन करते हुए श्रद्धालु एक महीने का कल्पवास करते नज़र आ रहे हैं । कोरोना महामारी को देखते हुए कल्पवासी चेहरे पर मास्क लगा कर के पूजा पाठ करते भी नजर आ रहे हैं। साथ ही सरकार द्वारा जारी की गई कोविड गाड़ीलाइन का भी पालन कर रहे हैं।
बता दें कि भारतीय आश्रम परम्परा में गृहस्थ आश्रम को सबसे श्रेष्ठ माना गया है जिसमें साल के ग्यारह महीने घर में रहकर और एक महीने मोह-माया से दूर रहकर पवित्र नदियों के संगम के किनारे वास करके जप तप और साधना से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मोक्ष की इसी लालसा को लेकर लाखों श्रद्धालु माघ मेले में धर्म की नगरी तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी पर एक महीने तक वास करते हैं जिसे कल्पवास कहा जाता है।
संगम तट पर एक माह तक चलने वाले कल्पवास की शुरुवात हो गई है । संगम में स्नान ,त्याग और संयम का जीवन जीते हुए कल्पवासी पूरे समय भगवान् के नाम का सत्संग करते है। इस अनूठी दुनिया में धर्म-आध्यात्म, आस्था- समर्पण और ज्ञान व संस्कृति के तमाम रंग देखने को मिलते हैं। मान्यता है कि 33 करोड़ देवी देवता एक महीने तक संगम की रेती में विराजमान रहते है। कल्पवास करने आये श्रद्धालु दिन में दो बार गंगा स्नान करते है एक बार खाना खाते है और दिन भर भजन कीर्तन करते है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प जो ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है जिसके बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि, कल्पवास मनुष्य के आत्मिक विकास का जरिया है।