Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2018 12:58 PM
अराजक तत्वों द्वारा शिक्षकों पर हमले से नाराजगी के कारण अनिश्चितकालीन बंदी का एलान करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार अपना रुख नरम करते हुए परास्नातक कक्षाओं में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई को फिर शुरू करने का फैसला किया..
लखनऊः अराजक तत्वों द्वारा शिक्षकों पर हमले से नाराजगी के कारण अनिश्चितकालीन बंदी का एलान करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार अपना रुख नरम करते हुए परास्नातक कक्षाओं में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई को फिर शुरू करने का फैसला किया।
काउंसिलिंग का नया कार्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य भी 10 जुलाई से शुरू होगा। उससे पहले टाइम टेबल को वेबसाइट पर प्रर्दिशत कर दिया जाएगा। इसके पूर्व, उच्च न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षकों पर अराजक तत्वों के हमले के मामले में लखनऊ पुलिस को फटकार लगाई गई। इस पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 24 घंटे के अंदर स्थानान्तरित करने की मांग की।
शिक्षकों का कहना है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार विश्वविद्यालय में कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिये अपेक्षित कदम नहीं उठा रहे हैं। इसके अलावा शिक्षकों ने परिसर में पूर्ण थाना खोलने की मांग करते हुए कहा है कि परिसर में मौजूद पुलिस चौकी को बंद कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी काम की नहीं है। इससे पहले, दिन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत चार जुलाई को लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में कुछ अराजक तत्वों द्वारा शिक्षकों से मारपीट किए जाने के मामले में लापरवाही भरा रवैया अपनाने के लिये लखनऊ पुलिस को फटकार लगाई।
पीठ ने विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामले में पुलिस महानिदेशक, लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार तथा प्रॉक्टर को तलब करने के बाद उभरे तथ्यों पर यह तल्ख टिप्पणियां कीं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश सिंह की पीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई घटना की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई नहीं करने के लिए जिला पुलिस को खरीखोटी सुनाई और इस मामले में अपने द्वारा की गई कार्रवाई के सम्बन्ध में हलफनामा दाखिल करने को कहा।