Loksabha Election 2019: एक नजर लखनऊ लोकसभा सीट पर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 May, 2019 04:49 PM

लखनऊ लोकसभा सीट देश की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है। इस सीट की पहचान नवाबों की नगरी के रूप में तो होती ही है। साथ ही राजनीतिक पृष्ठ भूमि की दृष्टि से अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमी के रूम में भी जानी जाती है। यहां का दशहरी आम, चिकन की...

लखनऊ लोकसभा सीट देश की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है। इस सीट की पहचान नवाबों की नगरी के रूप में तो होती ही है। साथ ही राजनीतिक पृष्ठ भूमि की दृष्टि से अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमी के रूम में भी जानी जाती है। यहां का दशहरी आम, चिकन की कढ़ाई के कपड़े, और गलावटी कबाब पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इस सीट पर 16 बार चुनाव हुए हैं। जिनमें 7 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने चुनाव जीता है, लेकिन सपा-बसपा आज तक इस सीट पर जीत के लिए तरस रहे हैं। इसके अलावा जनता दल, भारतीय लोकदल और निर्दलीय ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।
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इस सीट पर 1952 में पहली बार चुनाव हुए। तब कांग्रेस से शिवराजवती नेहरू जीत कर संसद पहुंची। 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पुलिन बिहारी जी संसद पहुंचे तो 1962 में कांग्रेस के ही बी.के. धाओं संसद पहुंचे, लेकिन 1967 के चुनाव में निर्दलीय उम्मदवार आनंद नारायण ने इस सीट से चुनाव जीता। ये जीत महज एक बार ही रही। अगले चुनाव यानी 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस से फिर शीला कौल सांसद बनी। इसके बाद 1977 में इमरजेंसी के बाद आम चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस को इस सीट पर मुंह की खानी पड़ी और लोकदल से हेमवंती नंदन बहुगुणा चुनाव जीत कर सांसद बने। हालांकि 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर शीला कौल को यहां से चुनावी मैदान में उतारकर वापसी की। वह 1984 में चुनाव जीतकर तीसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहीं। 1989 में जनता दल के मानधाता सिंह ने यह सीट कांग्रेस से ऐसा छीना कि फिर दोबारा कांग्रेस यहां से वापसी नहीं कर सकी।

1990 के दशक में जनसंघ ने भारतीय जनता पार्टी का रूप ले लिया और राम मंदिर का लहर पूरे देश में चल रहा था। तब बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से चुनाव लड़े और संसद पहुंचे। वाजपेयी ने लखनऊ को ही अपनी कर्मभूमी बना ली। अटल बिहारी वाजपेयी यहां से 5 बार सांसद बने। अटल जी 1991 से 2009 तक यहां से लगातार चुने जाते रहे। 2009 में राजनीतिक सन्यास लेने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लालजी टंडन ने संभाला और यहां से संसद पहुंचे। इसके बाद 2014 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यहां से रीता बहुगुणा जोशी को करारी शिकस्त देकर इस सीट को बीजेपी के लिए बरकरार रखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी से राजनाथ सिंह ही मैदान में है, तो कांग्रेस ने धर्म गुरू आचार्य प्रमोद कृष्णम को मैदान में उतारा है। वहीं गठबंधन से पूर्व बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा मैदान में हैं।

लखनऊ में आती हैं 5 विधानसभा सीटें
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बात करें विधान सभा सीटों की तो इस लोकसभा के अंदर 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा सीट शामिल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा, बसपा और कांग्रेस राजधानी की सीटों के लिए तरस गई थी।

जानिए, लखनऊ से कितने मतदाता करेंगे मत का प्रयोग
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2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट पर कुल 19 लाख 58 हज़ार 847 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 54 हज़ार 133 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 9 लाख 4 हज़ार 628 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 86 है।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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अटल जी की विरासत को लालजी टंडन के बाद 2014 में राजनाथ सिंह संभालने के लिए उतरे और उन्होने कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को जबरदस्त टक्कर दी। राजनाथ सिंह को 2014 लोकसभा चुनाव में कुल 5 लाख 51 हज़ार 106 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को कुल 2 लाख 88 हज़ार 357 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के नकुल दुबे थे। नकुल को कुल 64 हज़ार 449 वोट मिले।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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2009 में लखनऊ में हुए चुनाव में अटल जी के बाद लालजी टंडन ने यहां से चुनाव लड़ा। लालजी टंडन के खिलाफ कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी चुनाव लड़ रही थी और हार गई। टंडन को कुल 2 लाख 4 हज़ार 28 वोट मिले थे। जबकी कांग्रेस की बहुगुणा जोशी को कुल 1 लाख 63 हज़ार 127 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के अखिलेश दास गुप्ता थे। अखिलेश को कुल 1 लाख 33 हज़ार 610 वोट मिले थे।

एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अटल विहारी वाजपेयी आखिरी बार चुनाव लड़े थे... लगातार लखनऊ से 5 बार सांसद रहे वाजपेयी इस बार भी यहां से चुनाव जीते और संसद पहुंचे। उन्होंने इस चुनाव में सपा के मधु गुप्ता को हराया था। वाजपेयी को इस चुनाव में कुल 3 लाख 24 हज़ार 714 वोट मिले थे। जबकि सपा की मधु गुप्ता को 1 लाख 6 हज़ार 339 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामजेठ मलानी रहे। जेठमलानी को कुल 57 हज़ार 685 वोट मिले।   

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