Edited By Anil Kapoor,Updated: 01 Aug, 2018 07:40 PM
दिल्ली में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसका फैसला उत्तर प्रदेश की राजनीति पर निर्भर करता है। देश में सबसे अधिक 80 संसदीय सीटें इसी राज्य की हैं। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना जनाधार मजबूत करना...
लखनऊ: दिल्ली में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसका फैसला उत्तर प्रदेश की राजनीति पर निर्भर करता है। देश में सबसे अधिक 80 संसदीय सीटें इसी राज्य की हैं। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना जनाधार मजबूत करना शुरु कर दिया है। लंबे समय के बाद राज्य पर काबिज हुई भाजपा सरकार और संगठन ने एकजुट होकर प्रदेश में मतदाताओं को साथ जोड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
वहीं दूसरी तरफ सपा बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी खोई हुई ताकत फिर से हासिल करने के लिए अपना जनाधार मजबूत बनाना शुरु कर दिया है। तीनों दल अपने-अपने संगठनों को तंदरुस्त करने और चुनावी रणनीति को धार देने में लग गए हैं। महागठबंधन की स्थिति क्या होगी इस बारे में फैसला स्पष्ट सामने नहीं आया लेकिन सपा,बसपा और कांग्रेस नए रुप में दिखाई देने लगे हैं।
ये तीनों दल अपने-अपने प्रमुख नेताओं से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं, ताकि चुनावों में जितनी-जितनी सीटों पर इन पार्टियों के उम्मीदवार खड़े हों वे भाजपा और उनके सहयोगी दलों को पराजित कर जीत हासिल करें। बसपा सोशल मीडिया से दूर रहकर बैठकों और सम्मेलनों का आयोजन कर रही है ताकि जमीनी स्तर पर वर्करों के साथ जुड़ सके। कांग्रेस भी बदलाव के साथ अपने पुराने नेताएं की जगह युवा चेहरों को आगे ला रही है। कांग्रेस जातिगत समीकरण और युवा जोश के तालमेल में जुटी हुई है। सपा जिलास्तर पर संगठन के मजबूत कर रही है और हर जगह साइकिल यात्रा निकाली जा रही है ताकि हर जगह सबके साथ व्यक्तिगत संपर्क बनाया जा सके।