Edited By Ruby,Updated: 03 Apr, 2019 06:23 PM
शामलीः त्रिकोणीय मुकाबले के लिए तैयार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन जीत की हैट्रिक जमाने के साथ इतिहास रचने को बेकरार हैं। हसन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जनविरोधी नीतियों के कारण जनता बेहद...
शामलीः त्रिकोणीय मुकाबले के लिए तैयार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन जीत की हैट्रिक जमाने के साथ इतिहास रचने को बेकरार हैं। हसन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जनविरोधी नीतियों के कारण जनता बेहद निराश है और गठबंधन की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। उन्हें विश्वास है कि क्षेत्र में वह तीसरी बार जीत हासिल करने में सफल होगी।
कैराना पर इससे पहले केवल हरपाल सिंह ही दो बार लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब हुए है। हसन वर्ष 2009 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर सांसद चुनी गई थी जबकि 2018 में हुए उपचुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद हुकुम सिंह की पुत्री मृगांका सिंह को करारी शिकस्त दी थी। इस बार वह गठबंधन में सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में है। भाजपा ने इस बार मृगांका के स्थान पर विधायक प्रदीप चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
चौधरी नकुड़ और गंगोह से अलग-अलग तीन बार विधायक रहे हैं। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप आरएलडी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (एसपी) में भी रह चुके हैं। वहीं कांग्रेस ने जाट छत्रप के नाम से विख्यात पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस त्रिकोणीय जंग को दिलचस्प बनाने के लिए हिन्दू नेता प्रवीण भाई तोगड़िया की हिंदुस्तान निर्माण पार्टी ने रेखा गुज्जर को मैदान में उतारा है।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में कैराना लोकसभा सीट से भाजपा हुकुम सिंह ने पांच लाख 65 हजार 909 वोट से जीत हासिल की थी। यहां दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नाहिद हसन को तीन लाख 29 हजार 81 वोट मिले थे। हुकुम सिंह के निधन के बाद कैराना लोकसभा सीट पर वर्ष 2018 में उपचुनाव हुए थे। भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि, चुनावी मुकाबले में समाजवादी पार्टी (एसपी) उम्मीदवार रहीं तबस्सुम हसन ने मुकाबला अपने नाम किया था।