Edited By Ajay kumar,Updated: 31 Mar, 2020 03:13 PM
कोरोना महामारी के चलते 21 दिन के लिए 14 अप्रैल तक पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन की वजह से सभी काम-धंधे बंद हो जाने से गरीब और मजदूर वर्गों पर रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा है।
अम्बेडकरनगर: कोरोना महामारी के चलते 21 दिन के लिए 14 अप्रैल तक पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन की वजह से सभी काम-धंधे बंद हो जाने से गरीब और मजदूर वर्गों पर रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा है। ऐसे में देश के विभिन्न शहरों में रहकर गुजर बसर कर रहे मजदूरों ने शहर में बंद होने से बेहतर घर जाने का फैसला लिया। फिर क्या था मजदूर तबके के लोग अपने अपने घरों की तरफ निकल पड़े। कोई पैदल निकला तो कोई बस से। कोई ट्रकों में बैठकर तो कोई टेंम्पो में। कुछ लोग तो साईकिल से ही घर के लिए रवाना हो गए।
जी हां बात कर रहे हैं दिल्ली में रहकर पेंटर का काम करके जीवन यापन करने वाले मजदूर अशोक और उनके साथियों की जो दिल्ली से 700 किमी की दूरी तय करके साईकिल से घर पहुंचे हैं। अशोक प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद साईकिल से ही घर के लिए निकल पड़े। जो आज अपने गृह जनपद अम्बेडकर नगर पहुंचे तो इन्हें रोककर पहले इनकी जांच की गई फिर इन्हें लंच पैकेट दिया गया।
दरअसल ये सभी साइकिल सवार मजदूर अम्बेडकरनगर के जलालपुर तहसील के जैतपुर निवासी हैं। पेन्टर अशोक ने बताया कि हम सभी लोग दिल्ली में पेन्टर का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद हम सभी को रुपये-पैसे की दिक्कत आने लगी। जिस कारण से हम लोगों ने साइकिल से ही घर जाने का फैसला लिया। हमलोग दिल्ली से 26 तारीख की शाम को निकले थे आज मंगलवार को घर पर पहुंचे हैं। मीडिया के सवालों पर अशोक ने बताया कि उन्हें रास्ते में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुयी। जगह जगह लोग खाने पीने का सामान उपलब्ध करा रहे हैं।