UP पहुंचा पत्र लीक मामला, प्रदेश कांग्रेस में भी विरोध के स्वर हुए तेज

Edited By Umakant yadav,Updated: 29 Aug, 2020 12:48 PM

letter leaked in up case protests also intensified in the state congress

कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और कार्यकारिणी की बैठक बुलाने की 14 वरिष्ठ नेताओं की अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र की आंच अब उत्तर प्रदेश भी पहुंच गई है। प्रदेश में भी ऐसे नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक...

लखनऊ: कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और कार्यकारिणी की बैठक बुलाने की 14 वरिष्ठ नेताओं की अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र की आंच अब उत्तर प्रदेश भी पहुंच गई है। प्रदेश में भी ऐसे नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग उठने लगी है।

उत्तर प्रदेश में पिछले 31 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस अपनी जड़ें मजबूत करने का पूरा प्रयास कर रही है और पार्टी की महासचिव तथा राज्य की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा इसके लिये पूरी मेहनत कर रही हैं। वो उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को हर मामले में घेरने का कोई मौका नहीं जाने देती। लेकिन वरिष्ठ नेताओं के पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र के बाद उत्तर प्रदेश में भी पार्टी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक खेमा है जो संगठन को मजबूत करने की बात कर रहा है तो दूसरे खेमे से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। कार्रवाई की मांग करने वालों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को अपने निशाने पर रखा है।

प्रदेश के एक पूर्व पदाधिकारी ने कल सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल जितिन प्रसाद के ब्राहम्ण होने पर ही सवाल उठा दिया। सोशल मीडिया पर किये पोस्ट में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में ब्राहम्ण का मतलब तिवारी, मिश्रा, पांडेय, शुक्ला आदि होते हैं और उनकी रिश्तेदारी भी ब्राहम्णों में होती है। हालांकि पार्टी में ही इस नेता को विरोध झेलना पड़ा। पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद पर निशाना साधा और उन्हें मौका परस्त बताते हुये पार्टी से निकालने की मांग की।

जितिन प्रसाद ब्राहम्णों को कांग्रेस से जोड़ने की मुहिम में लगे हैं। राज्य में ब्राहम्णों पर होने वाली किसी भी घटना पर वो वहां जाने का प्रयास करते हैं लेकिन सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उनका भी नाम होने पर उन्हें निशाने पर रखा जा रहा है। दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पिछड़े और दलितों को पार्टी के पक्ष में करने में लगे हैं। ब्राहम्ण, दलित और मुसलमान कभी कांग्रेस के खास वोट बैंक हुआ करते थे। राजनीतिक समय का पहिया जब घूमा तो मुसलमान समाजवादी पार्टी के साथ, दलित मायावती के साथ तथा अयोध्या आंदोलन के कारण ब्राहम्ण भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गये। लगातार सत्ता से दूर रहने के कारण कार्यकर्ता भी धीरे-धीरे अलग होते गये और पार्टी में बस नेता बच गये।

अब ताजा घटनाक्रम में पार्टी में दो खेमा साफ दिखाई दे रहा है जो एक दूसरे पर कार्रवाई की मांग कर रहा है। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि कांग्रेस को जल्द ही इस संकट को दूर करना होगा, अन्यथा आगे की राह उसकी दुश्कर हो सकती है क्योंकि राज्य में डेढ़ साल बाद विधान सभा के चुनाव हैं और प्रियंका गांधी का पूरा प्रयास सत्ता में वापसी का है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!