Edited By Anil Kapoor,Updated: 29 Aug, 2018 08:04 AM
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को अधिकतर सदस्यों ने नौकरशाहों पर उपेक्षित व्यवहार का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर मामला करार दिया। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुखदेव राजभर ने नियम 300 के तहत सदन को सूचित किया कि....
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को अधिकतर सदस्यों ने नौकरशाहों पर उपेक्षित व्यवहार का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर मामला करार दिया। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुखदेव राजभर ने नियम 300 के तहत सदन को सूचित किया कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते और कई मामलों में जनप्रतिनिधियों को दरकिनार करने का प्रयास किया जाता है। यह कार्यपालिका में गिरावट का लक्षण है जिसे स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कतई शुभ नहीं कहा जा सकता।
राजभर ने कहा कि कई बार थानों में विधायक और दारोगा के बीच कहासुनी होने की बात सामने आई है। उन्हें थानों और अन्य प्रशासनिक दफ्तरों में बेइज्जत किया जाता है। अफसरशाही को इतना हावी नहीं होना चाहिए कि डेमोक्रेसी कमजोर हो जाए।राजभर की इस शिकायत का विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने मेज थपथपा कर समर्थन किया। इस पर सपा के कद्दावर नेता आज़म खान ने चुटकी लेते हुए कहा कि सत्ता पक्ष भी मानता है कि सरकार की पकड नौकरशाहों पर कमजोर पड़ी है। इस नाते सदन में अविश्वास प्रस्ताव की पूरी गुंजाइश है हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की नजाकत को भांपते हुए कहा कि खान मजाक के मूड में है।
हालांकि दीक्षित ने राजभर की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना से इसका जवाब देने को कहा। खन्ना ने कहा कि अफसरशाही पर सरकार की लगाम पूरी तरह सख्त है और यदि किसी सदस्य को अफसरों से कोई शिकायत है तो वह इसकी सूचना सरकार को दे। सरकार बिना विलंब किए उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेगी।