विधान परिषद चुनाव: सपा के पास बसपा को ‘रिटर्न गिफ्ट’ देने का मौका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Apr, 2018 08:16 AM

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उत्तर प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनाव विपक्षी एकता की हरारत जानने के लिहाज से अहम हैं। हाल के राज्यसभा चुनाव में मिली मायूसी के बाद इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा बसपा को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत का ‘रिटर्न गिफ्ट‘ दे...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनाव विपक्षी एकता की हरारत जानने के लिहाज से अहम हैं। हाल के राज्यसभा चुनाव में मिली मायूसी के बाद इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा बसपा को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत का ‘रिटर्न गिफ्ट‘ दे पाएगी या नहीं। प्रदेश विधानमण्डल के उच्च सदन की 13 सीटों पर आगामी 26 अप्रैल को चुनाव होंगे। परिणाम भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे। एक प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी।

प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों पर पिछले महीने हुए चुनाव में 9 सीटें जीतने वाली भाजपा प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में 324 विधायकों के दम पर कम से कम 11 सीटें आसानी से जीत सकती है। सपा के पास 47 विधायक हैं लेकिन उसके राष्ट्रीय महासचिव रहे नरेश अग्रवाल के भाजपा में चले जाने के बाद उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। वहीं उसके विधायक हरिओम यादव जेल में हैं। वह राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे। ऐसे में सपा के पास 45 वोट ही हैं। वह अपने दम पर एक प्रत्याशी को विधान परिषद पहुंचा सकती है। इसके बावजूद उसके पास 16 वोट बच जाएंगे।

बसपा के पास 19 विधायक हैं, मगर उसके विधायक मुख्तार अंसारी राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे, लिहाजा इस बार भी उनके वोट डालने की सम्भावना बहुत कम है। वहीं, बसपा विधायक अनिल सिंह ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। उस लिहाज से देखें तो बसपा अपने 17 विधायकों पर ही भरोसा करेगी। हर तरह से बसपा को अपना उम्मीदवार जिताने के लिए सपा का साथ लेना होगा। बसपा का काम कांग्रेस के 7 विधायकों की मदद मात्र से भी नहीं चलेगा।

हालांकि विधान परिषद चुनाव में राज्यसभा चुनाव की तरह जोड़-तोड़ और क्रॉस वोटिंग की सम्भावना कम ही है। भाजपा के पास अपने 11 प्रत्याशियों को जिताने के बाद केवल 5 वोट शेष रह जाएंगे। माना जा रहा है कि सभी सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो जाएगा। प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस वक्त भाजपा के मात्र 13 सदस्य हैं। वहीं, सपा के 61, बसपा के 9, कांग्रेस के 2, राष्ट्रीय लोकदल का एक तथा अन्य 12 सदस्य हैं। 2 सीटें रिक्त हैं।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि उनकी पार्टी विधान परिषद की 13 में से 11 सीटें जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। वहीं, सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि सपा और बसपा गठबंधन आसानी से 2 सीटें जीतेगा। कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि विधानसभा में अपने संख्याबल के आधार पर उनकी पार्टी अपना एक भी प्रत्याशी जिताने की स्थिति में नहीं है। हालांकि वह समान विचारों वाली पार्टियों का समर्थन कर सकती है। बहरहाल, उन्हें उम्मीद है कि अगर कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने का फैसला करती है तो उसे बसपा का साथ मिलेगा, क्योंकि उसने राज्यसभा चुनाव में इस पार्टी का पूरा सहयोग किया था।

मालूम हो कि विधान परिषद सदस्य और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा भाजपा सरकार के मंत्रियों महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा समेत 13 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 5 मई को समाप्त हो रहा है। जो 13 सीटें खाली होंगी, उनमें 7 सपा की, 2-2 भाजपा और बसपा की और एक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की है। इनमें एक सीट पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की भी है, जो उनके सपा से बसपा में जाने के बाद रिक्त हुई थी।

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