UP में श्रम कानून अधिसूचना हुआ निरस्त, मजदूरों की हुई बड़ी जीत

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 15 May, 2020 11:26 PM

labor law notification repealed in up major victory of workers

उत्तर प्रदेश में मजदूरों की बड़ी जीत हुई है। श्रम कानून अधिसूचना को शासन ने लागू करने के कुछ दिनों बाद ही निरस्त कर दिया है। काम के घंटे बारह करने की प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट...

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मजदूरों की बड़ी जीत हुई है। श्रम कानून अधिसूचना को शासन ने लागू करने के कुछ दिनों बाद ही निरस्त कर दिया है। काम के घंटे बारह करने की प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के द्वारा नोटिस देने के बाद  सरकार ने अपनी अधिसूचना वापस ले ली।

18 मई को होगी अगली सुनवाई 
फैक्ट्री ऐक्ट में किए गए इस संशोधन की अधिसूचना को वापस लिए जाने के बाद प्रदेश में अब फिर श्रमिकों से काम कराने की अवधि अधिकतम आठ घंटे हो गई है। शासन की इस अधिसूचना को लेकर HC में याचिका दाखिल हुई व इस जनहित याचिका में अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला व विनायक मित्तल द्वारा बहस की गयी थी।  जिस पर अगली सुनवाई 18 मई को होनी है।

संशोधन की अधिसूचना को खत्म किए जाने की जानकारी प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा ने शुक्रवार को पत्र के जरिए इलाहाबाद HC के मुख्य स्थायी अधिवक्ता को दे दी है। पत्र में जानकारी दी गई है कि 8 मई को इस संबंध में जारी अधिसूचना को शुक्रवार को निरस्त कर दिया गया है।

अब एक दिन में 8 घंटे ही काम करना होगा
8 मई को श्रम विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में रजिस्टर्ड कारखानों में श्रमिकों के काम करने के घंटे बढ़ाए गए थे। इसके अनुसार कारखाने में युवा श्रमिक से एक कार्य दिवस में अधिकतम 12 घंटे और एक हफ्ते में 72 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा। इसके निरस्त किए जाने के बाद अब एक दिन में अधिकतम आठ घंटे और एक हफ्ते में 48 घंटे काम कराने का पुराना नियम फिर प्रभावी हो गया।

 

 

 

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