Kumbh Mela: पुण्य कमाने के साथ-साथ इन खास चीजों का भी उठा सकते हैं लुत्फ

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 13 Jan, 2019 01:58 PM

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कुंभ मेले की शुरुआत मकर संक्रांति से होने वाली है, जो पूरे 50 दिन यानी 4 मार्च शिवरात्रि तक चलने वाला है। कुंभ को लेकर गतिविधियां तेज हो गईं हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं ने प्रयागराज पहुंचने की तैयारियां शुरू कर दी हैं...

प्रयागराजः कुंभ मेले की शुरुआत मकर संक्रांति से होने वाली है, जो पूरे 50 दिन यानी 4 मार्च शिवरात्रि तक चलने वाला है। कुंभ को लेकर गतिविधियां तेज हो गईं हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं ने प्रयागराज पहुंचने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वैसे तो कुंभ की भव्यता और दिव्यता का एहसास प्रयागराज में दाखिल होते ही होने लगता है।
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कुंभ में पुण्य कमाने के साथ-साथ कईं ऐसी खास चीजें का लुत्फ उठा सकते हैं। तो इन खास चीजों के बारे में जरा विस्तार से जान लें।
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कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई देखना अद्भुद
छह और बारह साल में होने वाले कुंभ और महाकुंभ का प्रमुख आकर्षण साधु-संतों के अखाड़े होते हैं। ये साधु-संत कुंभ में पूरी शानों शौकत के साथ शाही स्नान पर जब निकलते हैं तो वह किसी आश्चर्य प्रयोजन से कम नहीं होता। प्रशासन अखाड़ों से संगम तक संतों के लिए एक विशेष राजपथ बनाता है, जिस पर सिर्फ अखाड़े ही चल सकते हैं। अखाड़ों की शाहीअंदाज में पेशवाई निकलती है। पेशवाई में सोने-चांदी के सिंहासनों पर विराजमान साधु-संत अपनी टोलियों के साथ प्रदर्शन करते हुए कुंभ पहुंचते हैं। हाथी, घोड़ों, बग्घी, बैण्ड के साथ निकलने वाली पेशवाई के स्वागत एवं दर्शन के लिए मार्ग के दोनों ओर श्रद्धालु एवं सेवादार खड़े रहते हैं।
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संगम तट पर सांस्कृतिक संध्याओं का गुलजार
कुंभ में इस बार देश-विदेश की रामलीलाओं की भी प्रस्तुति होगी। ये पहली बार होने जा रहा है। यही नहीं यहां प्रदेश सरकार की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। देश की सांस्कृतिक विरासतें यहा देखने को मिलेंगी। कुंभ मेला में पांच विशाल सांस्कृतिक पंडाल बनाए गए हैं। इसमें रोज ही कुछ न कुछ सांस्कृतिक आयोजन होंगे। पारंपरिक एवं लोक नृत्य के साथ कई अन्य धार्मिक आयोजन यहां देखने को मिलेंगे।
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कुंभ मेले में शाही स्नान
शाही स्नान का कुंभ मेले में काफी महत्व होता है शाही स्नान सबसे पहले अखाड़े के साधु करते हैं इनके बाद ही आम आदमी पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान कर सकते हैं। इसके लिए आम लोग सुबह 3 बजे से ही लाइन लगा लेते हैं और साधुओं के स्नान के बाद नहाने जाते हैं। इस बार पहला शाही स्नान 15-15 जनवरी, दूसरा 4 फरवरी और तीसरा 10 फरवरी को है।
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जगह-जगह लगेंगे लंगर
इस दौरान खाने की कोई समस्या नहीं होती क्योंकि जगह-जगह लंगर चल रहे होते हैं इनमें साधु सन्यासियों के साथ आम आदमी को भी भोजन कराया जाता है। यहां खाने के लिए एक कम्यूनिटी एरिया बना होता है जहां फ्री में खाना दिया जाता है। अगर आप खाने नहीं भी जाना चाहते हैं तो इसकी फोटो क्लिक कर सकते हैं।
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हेलीकॉपटर के जरिए भी कुंभ मेले का दर्शन
कुंभ मेले में क्रूज की सवारी ही नहीं हेलीकॉपटर के जरिये भी कुंभ मेले का दर्शन किया जा सकेगा। सस्ती दरों पर ये सुविधाएं पर्यटकों को दी जाएंगी ताकि वे कई किलोमीटर में फैले से कुंभ के अद्भुद नजारों को अपने आंखों में आसानी से कैद कर सकें।
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जलमार्ग फेरी सेवाओं का भी सकते हैं आनंद
कुंभ में आप यमुना नदी पर संगम घाट के पास जलमार्ग से फेरी सेवाओं का आनंद भी ले सकेंगे। फेरी सेवाएं सुजावन घाट से शुरू होकर रेल सेतु (नैनी की ओर) के नीचे से वोट क्लब घाट व सरस्वती घाट से होता हुआ किला घाट पर आ कर खत्म होगा। करीब बीस किलोमीटर लंबे इस जलमार्ग में आपको कई टर्मिनल मिलेंगे।
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