Kumbh 2019: मेले के दौरान 6 स्नान पर्वों पर श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 09 Jan, 2019 12:19 PM

kumbh 2019 during the fair devotees will celebrate 6 bathing festivals

तीर्थों के राजा प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरू होकर 4 मार्च तक चलने वाले कुंभ मेला के दौरान 6 स्नान पर्वों में श्रद्धालु गंगा,यमुना और सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। कुंभ की शुरुआत 14/15 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर पहले स्नान...

प्रयागराज: तीर्थों के राजा प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरू होकर 4 मार्च तक चलने वाले Kumbh मेला के दौरान 6 स्नान पर्वों में श्रद्धालु गंगा,यमुना और सरस्वती के पावन संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। कुंभ की शुरुआत 14/15 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर पहले स्नान पर्व से होगी। शाही स्नान की संज्ञा से नवाजे जाने वाले इस पर्व के मौके पर संगम की रेती पर विभिन्न अखाड़ों की शोभा यात्रा निकलेंगी और फिर साधु संत डुबकी लगाएंगे। आम बोलचाल की भाषा में खिचड़ी के नाम से पुकारे जाने वाले इस पर्व में स्नान ध्यान के बाद खिचड़ी का दान देने की अद्धुत परम्परा है।

PunjabKesariकुंभ का दूसरा स्नान 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा के अवसर पर होगा। पूर्णिमा के बाद ही माघ महीने की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूर्णमासी से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन से कल्पवास भी आरंभ हो जाता है। तीसरा स्नान 4 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन होगा। मान्यता है कि इसी दिन कुंभ के पहले तीर्थाकंर ऋषभ देव ने लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था।

PunjabKesariहिन्दी कलेंडर के अनुसार कुंभ का चौथा स्नान माघ महीने की पंचमी यानी ‘बसंत पंचमी’ को होगा। 10 फरवरी को पड़ने वाले इस पर्व से ही बसंत ऋतु की शुरूआत हो जाती है जब प्रकृति अपने बदलते रंगरूप से हर किसी का मन मोह लेती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का वशिेष महत्व है। कुंभ मेले में पांचवां स्नान 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा के रोज होगा।

PunjabKesariमान्यता है कि इस दिन सभी हिंदू देवता स्वर्ग से संगम पधारे थे। इस दिन को कल्पवास की पूर्णता का पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन माघी पूर्णिमा समाप्त हो जाती है। इस रोज संगम के तट पर कठिन कल्पवास व्रतधारी स्नान कर उत्साह मनाते हैं। इस दिन गुरू बृहस्पति की पूजा की जाती है। कुंभ मेले का आखिरी स्नान पर्व 4 मार्च को भगवान भोलेनाथ के विवाह यानी महाशिवरात्रि के दिन होता है। इस दिन सभी कल्पवासियों अंतिम स्नान कर अपने घरों को लौट जाते हैं। शिव और माता पार्वती के इस पावन पर्व पर कुंभ में आए सभी भक्त संगम में डुबकी जरूर लगाते हैं। मान्यता है कि इस पर्व का देवलोक में भी इंतजार रहता है।

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