Edited By Ruby,Updated: 20 Jan, 2019 11:54 AM
मोक्ष की कामना के साथ पतित पाविनी गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम की रेती पर सोमवार को आस्था का समंदर हिलोंरे मारेगा। पौष पूर्णिमा के मौके पर करीब एक करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह के...
प्रयागराजः मोक्ष की कामना के साथ पतित पाविनी गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम की रेती पर सोमवार को आस्था का समंदर हिलोंरे मारेगा। पौष पूर्णिमा के मौके पर करीब एक करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का अधिक महत्व है। मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा का संगम भी कहा जाता है, क्योंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। चंद्रमा के साथ-साथ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है।
अर्धकुंभ को कुंभ की मान्यता दे चुकी राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने में कोई कोरकसर छोड़ने मूड में नहीं दिखती। इसी का नतीजा है कि पहले मकर संक्रांति के अवसर पर अखाड़ों के शाही स्नान के साथ देवों के अमृत से परिपूर्ण कुंभ का भव्य आगाज हुआ था और एक ही दिन में करीब ढाई करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाकर एक रिकार्ड कायम किया था। कुंभ का दूसरा शाही स्नान चार फरवरी को माघ आमवस्या को संपन्न होगा। इससे पहले पूर्णिमा में स्नान का खास महत्व माना गया है। कुंभ मेले की अनापचौरिक शुरूआत भी इसी दिन से मानी जाती है। कल से ही संगम की रेती पर कल्पवास की विधिवत शुरूआत होगी। सोमवार को ही खग्रास चंद्रग्रहण भी लगेगा हालांकि भारत में यह नहीं देखा जा सकेगा।
इतने अपार जनसमूह के स्नान के सफल आयोजन से गदगद सरकार और स्थानीय प्रशासन पौष पूर्णिमा पर दूसरे शाही स्नान की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। मेला प्रशासन इस बात पर पूरा जोर लगा रहा है कि इस बार के आयोजन को और भव्य रूप दिया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने व्यस्त कार्यक्रमों से समय निकाल कर कुंभ की पल पल की जानकारी हासिल कर रहे है। पहले स्नान के दौरान अस्त व्यस्त हुए मार्गो को एक बार फिर चुस्त दुरूस्त कर चमका दिया गया है। करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान से तनिक मैले हुए ये संगम में जाल डाल कर गंदगी निकाल दी गई है जिससे एक बार फिर संगम का जल निर्मल दिखने लगा है। प्रकाश व्यवस्था को भी और बेहतर किया गया है। मेला क्षेत्र में अप्रिय स्थिति से बचने के लिए ड्रोन कैमरो और सीसीटीवी कैमरों को एक बार फिर बारीकी से जांचा परखा गया है।