kumbh 2019: धर्म रक्षा के लिए स्थापित अखाड़े कुंभ की शान

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 14 Jan, 2019 04:59 PM

kumbh 2019

दुनिया के सबसे विशाल धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ मेले में दिव्यता और भव्यता के प्रतीक अखाड़े हमेशा श्रद्धालुओं की आस्था और जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए आदि शंकराचार्य ने चार पीठों की...

प्रयागराजः दुनिया के सबसे विशाल धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ मेले में दिव्यता और भव्यता के प्रतीक अखाड़े हमेशा श्रद्धालुओं की आस्था और जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए आदि शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की थी जिसमें दक्षिण में शृंगेरी शंकराचार्यपीठ, पूर्व (ओडिशा) जगन्नाथपुरी में गोवर्धनपीठ, पश्चिम द्वारिका में शारदामठ और बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिपीठ शामिल हैं। इन पीठों की रक्षा के लिए आठवीं सदी में शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों को मिलाकर 13 जत्थों का गठन किया गया। इनमें महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाहन, अग्नि और आनंद की स्थापना खुद शंकराचार्य ने की थी।

काफी समय तक आश्रमों के अखाड़ों को बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहा जाता था। वास्तव में अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ। शंकराचार्य ने आठवीं सदी में 13 अखाड़े बनाए थे, तब से वही अखाड़े बने हुए थे लेकिन इस बार एक और अखाड़ा जुड़ गया है, जिस कारण इस बार कुंभ में 14 अखाड़ों की पेशवाई के दर्शन सुलभ हुये। फारसी शब्दकोष से लिया गया शब्द पेशवा का अर्थ अग्रणी है। मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्रियों को पेशवा कहते थे। ये राजा के सलाहकार परिषद अष्टप्रधान के सबसे प्रमुख होते थे। राजा के बाद इन्हीं का स्थान आता था। अखाड़ों को भी पीठों का रक्षा प्रमुख माना गया है और इसी नाते अखाड़ों की पेशवाई को धूमधाम से निकाला जाता है।

दरअसल, अखाड़ा, साधुओं का वह दल है जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है। कुछ धर्मावलंबियों के अनुसार अलख शब्द से ही अखाड़ा शब्द बना है जबकि कुछ का मानना है अखाड़ा शब्द की उत्पत्ति अक्खड़ से या आश्रम से हुई है। कुंभ मेले के दौरान सभी 14 अखाड़े तीन शाही स्नानों में हिस्सा लेंगे। ये स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रान्ति, चार फरवरी को मौनी अमावस्या और 10 फरवरी को बसंत पंचमी पर होंगे। शाही स्नान के लिए संगम के पास विशेष घाट बनाया गया है। प्रत्येक अखाड़े को स्नान के लिए 45 मिनट का वक्त दिया जायेगा।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक 14 अखाड़ों में से एक अटल अखाड़ा के ईष्ट देव भगवान गणेश हैं। इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते हैं और कोई अन्य इस अखाड़े में नहीं आ सकता है। यह सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक माना जाता है जबकि आवाहन अखाड़ा के ईष्ट देव दत्तात्रेय और गजानन दोनो हैं। इस अखाड़े का केंद्र स्थान काशी है। निरंजनी अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है। इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्वर हैं। इनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिक हैं। इस अखाड़े की स्थापना 826 ईस्वी में हुई थी। पंचाग्नि अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते हैं। इनकी इष्ट देव गायत्री हैं और इनका प्रधान केंद्र काशी है।
 

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