Edited By Deepika Rajput,Updated: 31 May, 2018 05:00 PM
गोरखपुर और फूलपुर के बाद कैराना-नूरपुर में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी-योगी का मैजिक बेअसर होता दिखाई दिया। कैराना उपचुनाव में कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के समर्थन से मैदान में उतरी रालोद...
लखनऊः गोरखपुर और फूलपुर के बाद कैराना-नूरपुर में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी-योगी का मैजिक बेअसर होता दिखाई दिया। कैराना उपचुनाव में कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के समर्थन से मैदान में उतरी रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने शानदार जीत हासिल की है। तबस्सुम ने बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को हराया है। कैराना उपचुनाव में जीत के बाद लाेकसभा में तबस्सुम हसन यूपी की पहली मुस्लिम चेहरा हाेंगी।
बता दें कि, तबस्सुम हसन सिर्फ हाईस्कूल तक शिक्षित हैं। शिक्षा के मामले में चाहे तबस्सुम हसन ज्यादा पढ़ी-लिखी न हों, लेकिन राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। तबस्सुम कैराना से ही सांसद रह चुके अख्तर हसन की बहु और मुन्नवर हसन की पत्नी हैं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 के चुनावों में सहानुभूति की लहर पर चढ़कर चौधरी अख्तर हसन ने बड़ी जीत दर्ज की। इससे पहले सिर्फ 1971 में ही कांग्रेस यहां से जीत सकी थी। 1996 के चुनावों में अख्तर के बेटे मुनव्वर हसन ने सपा के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की, लेकिन दो ही साल बाद बीजेपी के वीरेंद्र वर्मा ने मुन्नवर को हरा दिया।
इसके बाद ये सीट लगातार दो बार रालोद के खाते में रही। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुन्नवर की पत्नी तबस्सुम ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंची। तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन ने भी 2014 में हुकुम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन 2 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए।