काशी: काेराेना की वजह से टूटी 30 साल पुरानी परंपरा, 'गंगा आरती' पर लगी राेक

Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Mar, 2020 04:32 PM

kashi 30 year old tradition broken due to kairana rake on  ganga aarti

उत्तर प्रदेश के काशी में प्रतिदिन होने वाली गंगा आरती में अब आम लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। जिसके बाद गंगा सेवा निधि...

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के काशी में प्रतिदिन होने वाली गंगा आरती में अब आम लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। जिसके बाद गंगा सेवा निधि ने भी प्रशासन के निर्णय को मान लिया है। संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की दैनिक आरती का स्वरुप 31 मार्च तक के लिए सांकेतिक किया गया है।
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वर्ष 1990 से अनवरत हो रही आरती
बता दें कि काशी दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन गंगा सेवा निधि की ओर से मां गंगा की आरती होती है। यह सिलसिला वर्ष 1990 से अनवरत चला आ रहा है। संस्था अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि, शुरुआत में यहां गंगा आरती एक व्यक्ति व दो कन्याएं ऋद्धि-सिद्धि करती थी। आरती का कार्यक्रम पिता सतेंद्र मिश्रा ने शुरू किया था। अब इसका स्वरुप बदल चुका है। वर्तमान में सात या पांच पंडितों द्वारा आरती होती है। हर दिन हजारों भारतीय व विदेशी इसमें शामिल होते हैं। बाढ़ के समय घाटों पर पानी भर जाता है तो ऊंचे स्थान से मां गंगा की आरती की जाती है। मिश्रा ने कहा- आरती का स्वरूप सांकेतिक किया गया गया है। 31 मार्च तक परम्परा का निर्वहन किया जाएगा।

आरती में भक्तों के सार्वजनिक होने पर लगी रोक
वहीं डीएम कौशलराज शर्मा ने बताया कि गंगा आरती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। बल्कि आरती में भक्तों के सार्वजनिक होने पर रोक लगाई गई है। आरती एक निरंतरता की परंपरा है। इसे साधारण या छोटे रुप में भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरती के समय कोई भी आम जनता इसमें भाग नहीं लेगी। कोरोना वायरस के बचाव के लिए ऐसा किया जा रहा है।

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