Edited By Deepika Rajput,Updated: 26 May, 2018 01:53 PM
उत्तर प्रदेश में 28 मई को होने वाले कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव बीजेपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का पैमाना तय करेगा। वहीं इस उपचुनाव में विपक्षी एकता की भी अग्निपरीक्षा होगी। गौरतलब है कि, पिछले मार्च में...
शामलीः उत्तर प्रदेश में 28 मई को होने वाले कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव बीजेपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का पैमाना तय करेगा। वहीं इस उपचुनाव में विपक्षी एकता की भी अग्निपरीक्षा होगी।
गौरतलब है कि, पिछले मार्च में फूलपुर-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बसपा के सहयोग से समाजवादी पार्टी ने दोनों क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवारों को हार झेलने पर मजबूर कर दिया था। हार से बौखलाई बीजेपी इस उपचुनाव में कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती और यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनाव में खुद प्रचार की कमान संभाली है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कैराना-नूरपुर उपचुनाव के परिणाम अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण तय करने में मदद करेंगे। दिलचस्प है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रोकने के मकसद से विपक्ष ने कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार में नहीं उतारा है। विपक्ष की ओर से कैराना में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रत्याशी होने के बावजूद पार्टी के नेता बहुत कम जनसभाएं करेंगे।