Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 04 Jun, 2019 11:14 AM
लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा गठबंधन को मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने हार का ठिकरा सपा प्रमुख अखिलेश पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि अखिलेश का पार्टी पर असर इतना कमजोर है कि वह अपनी पत्नी डिंपल को भी जिता...
लखनऊः लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा गठबंधन को मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने हार का ठिकरा सपा प्रमुख अखिलेश पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि अखिलेश का पार्टी पर असर इतना कमजोर है कि वह अपनी पत्नी डिंपल को भी जिता नहीं पाए हैं। हार की समिक्षा के लिए पार्टी नेताओं की बैठक में मायावती ने कहा कि अब गठबंधन की बजाए पार्टी संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
मायावती की राजनीति को जानने वाले ये जानते हैं कि मायावती सत्ता प्राप्ति के लिए कुछ भी कर सकती हैं। आज से ठीक 24 साल पहले 3 जून 1995 में मायावती ने सत्ता के खातिर अखिलेश के पिता मुलायम सिंह को किनारे लगाकर बीजेपी के समर्थन से यूपी की सीएम बन गई। मौजूदा स्थितियों में वह सीएम तो नहीं बन सकती, लेकिन एक तरह से मायावती ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को सियासी धोखा दिया है।
क्योंकि 2019 के चुनाव में भाजपा के बाद जिस किसी पार्टी के ज्यादा सांसद चुने गए है तो उसके लिए बसपा का नाम लिया जा रहा है। बाते करें 2014 के लोकसभा चुनाव की तो बसपा का भी सांसद जीत नहीं पाया था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने सपा के साथ गठबंधन करने से 10 सांसद लोकसभा तक पहुंचे हैं। इस पर मायावती ने कहा कि यादव वोट उन्हें ट्रांसफर नहीं हुआ है।
जानकारों का यह भी कहना है कि अगर सपा के वोट बसपा को नहीं मिले होते तो इतने सांसदों का जीतना नामुमकिन था। ऐसी उम्मीद थी कि अखिलेश किसी बहाने से गठबंधन से अलग हो जाएंगे लेकिन उसके पहले मायावती ने चतुराईपूर्ण गठबंधन को तोड़ने के खुलेआम संकेत दे दिए हैं।