Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 14 Jul, 2018 06:15 PM
तीर्थराज प्रयाग में भगवान जगन्नाथ की यात्रा घंटे, घड़यिाल और शंख की ध्वनि के बीच बड़ी धूम-धाम से शनिवार को निकली। फूलों से सजे रथ पर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा दाई तरफ स्थित है। बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है और दाई तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र...
इलाहाबादः तीर्थराज प्रयाग में भगवान जगन्नाथ की यात्रा घंटे, घड़यिाल और शंख की ध्वनि के बीच बड़ी धूम-धाम से शनिवार को निकली। फूलों से सजे रथ पर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा दाई तरफ स्थित है। बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है और दाई तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र (बलराम) विराजमान हैं।
नगर के जीरो रोड़ से बड़ी धूम-धाम से चौक क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों से करीब पांच से छह किलोमीटर की शोभा यात्रा फिर जीरो रोड पर आकर समाप्त हुई। इस रथ की रस्सी को बड़ी संख्या में श्रद्धालु खींचते नजर आये। बड़ी तादात में महिला,पुरूष, बच्चे और वृद्ध भी भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा में शरीक हुये। जिस रास्ते से भी शोभा यात्रा गुजरी वह क्षेत्र घंटा, घडियाल और शंख की ध्वनि से भक्ति रस से सराबोर हो गया।
विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा नासिक, उड़ीसा के पुरी के साथ इलाहाबाद में भी निकाली जाती है। यह हिन्दू धर्म के पवित्र चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुण्ठ भी कहा जाता है। शोभा यात्रा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पडी।
श्रद्धालु मिश्री और मक्खन का भोग लगाने को आतुर दिखे। कुछ श्रद्धालु रस्सा छूकर माथे लगा रहे थे। कुछ रस्सा खींचते हुए कुछ दूर चल कर अपने धन्य महससू कर रहे थे। जै श्री जगन्नाथ के नारों से पूरा क्षेत्र गूँजायमान रहा।
वैदिक शोध एवं सांस्क़ृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण के आचार्य डा आत्मराम गौतम ने बताया कि रथयात्रा में पारम्परिक सछ्वाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अछ्वुत समन्वय देखने को मिलता है। श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा या रुक्मिणी नहीं होतीं बल्कि बलराम और सुभद्रा होते हैं। इसकी विस्तृत कथा है।