Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 May, 2019 04:18 PM
हिन्दुस्तान के प्रमुख इस्लामिक संगठन ‘‘जमीयत-ए-उलेमा हिन्द’’ ने रमजान के महीने में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का गैर जरूरी इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है और रोजा न रखने वालों की नींद में खलल न डालने का फरमान सुनाया है। यह फरमान आज कानपुर में आहूत संगठन...
कानपुरः हिन्दुस्तान के प्रमुख इस्लामिक संगठन ‘‘जमीयत-ए-उलेमा हिन्द’’ ने रमजान के महीने में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का गैर जरूरी इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है और रोजा न रखने वालों की नींद में खलल न डालने का फरमान सुनाया है। यह फरमान आज कानपुर में आहूत संगठन की प्रदेश स्तरीय बैठक में जारी किया गया।
आपको याद होगा कि कुछ अर्सा पहले मशहूर पार्श्व गायक सोनू निगम के एक ट्वीट ने हंगामा खड़ा कर दिया था। इसमे बालीवुड के स्टार सिंगर ने कहा था कि उनके घर के पास की मस्जिद से खुबह सवेरे आती अजान की आवाज उन्हें सोने नहीं देती है और ये एक धार्मिक जबरदस्ती है। अलग सम्प्रदाय से ताल्लुक रखने के कारण सोनू को अपने इस ट्वीट के लिये काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था।
अब अगर कुछ इसी तरह की बात एक प्रमुख इस्लामिक संगठन कहे, तब तो धर्म-सम्प्रदाय का चश्मा चढ़ाये लोगों को बहुत कुछ सोचना पड़ेगा। कानपुर में जमीयत उलेमा की राज्य स्तरीय बैठक में तय किया गया कि आगामी छह मई से शुरू होने जा रहे माह-ए-रमजान में मस्जिदों से अल-सुबह होने वाले ऐलानों की लगातार रिकार्डिंग न बजायी जाए।
जमीयत के सूबाई सदर मौलाना मतीन-उल-हक उसमा कासिमी ने साफ साफ कहा कि सुबह सहरी के वक्त मस्जिदों के लाउडस्पीकर से आवाज बुलन्द कर लोगों को जगाया जाता है। अक्सर इसके लिये रिकार्डिंग लगा दी जाती है और ये सहरी का वक्त खत्म होने तक बजती रहती है। मौलाना ने कहा कि इससे बूढे, बीमार और रोजा न रखने वालों की नींद भी उचटती है। जबकि उचित ये होगा कि सहरी के लिये मस्जिद से एक या दो बार ही ऐलान कर दिया जाए।
जमीयत-ए-उलेमा हिन्द के इस फैसले पर अगर अन्य इस्लामिक संगठनों ने विरोध नहीं किया और इस नयी शुरूआत को अपना समर्थन दे दिया तो निश्चित ही सभी कौमों के सामने इस्लाम की इन्सानी जज्बे वाली छवि उभरेगी।