परिजनों के साथ जेल में बंद 2 बच्चों का जेल प्रशासन ने कक्षा-1 में कराया प्रवेश

Edited By Ajay kumar,Updated: 22 Jul, 2022 07:34 PM

jail administration got 2 children lodged in jail with family members in class 1

दहेज उत्पीड़न के मामले में परिजनों के साथ जेल में बंद दो बच्चों का जेल प्रशासन ने पहली कक्षा में प्रवेश कराया है। स्कूल से आने के बाद उनके लिए जेल में ही क्रच (खेलने-पढ़ने की जगह) की व्यवस्था है। जेल प्रशासन ने निगरानी के लिए महिला कांस्टेबल की...

हमीरपुर: दहेज उत्पीड़न के मामले में परिजनों के साथ जेल में बंद दो बच्चों का जेल प्रशासन ने पहली कक्षा में प्रवेश कराया है। स्कूल से आने के बाद उनके लिए जेल में ही क्रच (खेलने-पढ़ने की जगह) की व्यवस्था है। जेल प्रशासन ने निगरानी के लिए महिला कांस्टेबल की तैनाती की है।

बता दें कि जिला कारागार में कुल 34 महिला बंदी निरुद्ध है। जिनमें से चार महिला बंदियों के साथ पांच बच्चे रह रहे हैं। जिला कारागार में महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों के अच्छे पालन पोषण व अच्छी शिक्षा व्यवस्था को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने शासन के निर्देशों का पालन करते हुए शुक्रवार को दहेज उत्पीड़न के मामले में विचाराधीन महिला बंदी शांति देवी पत्नी टुटिया के साथ रह रहे नातिन नैंशी(4) व नाती निखिल (5) का जेल परिसर के समीप बने बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च प्राथमिक स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला दिलाया है। अब बच्चे क ख ग से आगे बढ़ते हुए गुड मॉर्निग बोलेंगे। यहां आसपास के बच्चे भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। सत्र शुरू होते ही जुलाई में दोनों बच्चों का प्रवेश पहली कक्षा में करा दिया गया है।

जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने बताया कि दोनों बच्चों को स्कूल ले जाने एवं वापस लाने के लिए एक महिला जेलवार्डर की ड्यूटी लगाई गई है। उनकी पढ़ाई का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। परिजनों से भी इसकी अनुमति ली गई है। बच्चों की शिक्षा से परिजन भी खुश हैं। उन्होंने जेल प्रशासन के इस कदम को सराहा है। जेल में बच्चों का शिक्षा से वंचित रहने का अंदेशा था।
 

सेहत का रखा जाता है ख्याल
जेल के भीतर बच्चों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जाता है। उनकी समय-समय पर मेडिकल जांच होती है। जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने बताया कि महीने के दूसरे और चौथे सप्ताह में जिला अस्पताल से चिकित्सक आते हैं और जांच करते हैं। उन्होंने बताया कि जेल में महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों के शैक्षणिक और मानसिक विकास पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उनके पढ़ने और खेलने की जेल में पूरी व्यवस्था है। चिकित्सक भी समय-समय पर आते हैं।

 

 

 

 

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