फूलन देवी की मौत की पुष्टि करने में पुलिस को लगे 20 साल, एंटी डकैती कोर्ट ने 41 सालों से चल रहा मुकदमा किया खत्म

Edited By Umakant yadav,Updated: 04 Aug, 2021 04:52 PM

it took the police 20 years to confirm the death of phoolan devi

त्तर प्रदेश के कानपुर देहात की स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने पूर्व सांसद दिवंगत फूलन देवी के खिलाफ विचाराधीन मुकदमा मंगलवार को खत्म कर दिया है। डकैती का यह मुकदमा 25 जुलाई 1980 को डकैती युक्त हत्या के प्रयास के प्रय़ास में भोगनीपुर कोतवाली में दर्ज हुआ...

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात की स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने पूर्व सांसद दिवंगत फूलन देवी के खिलाफ विचाराधीन मुकदमा मंगलवार को खत्म कर दिया है। डकैती का यह मुकदमा 25 जुलाई 1980 को डकैती युक्त हत्या के प्रयास के प्रय़ास में भोगनीपुर कोतवाली में दर्ज हुआ था। जिसमें फूलन देवी और दस्यु विक्रम को आरोपित बनाया गया था। डकैत दस्यु विक्रम को 12 अगस्त 1980 को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था और फूलन देवी की 20 साल पहले दिल्ली में हत्या कर दी गई थी। पुलिस को साक्ष्य जुटाकर अदालत तक पहुंचाने में इतने दिन लग गए।

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41 साल बाद फूलन देवी के खिलाफ मुकदमा खत्म
बता दें कि 41 साल पहले डकैत फूलन देवी के गिरोह ने भोगनीपुर कोतवाली के किसुनपुर गांव में डकैती डाली थी। इस मामले में फूलन देवी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। यह मुकदमा फूलन देवी व गौहानी के विक्रम मल्लाह और गिरोह के खिलाफ दर्ज हुआ था। 41 साल से मामले की सुनवाई चल रही थी। डकैत विक्रम मल्लाह को पुलिस ने मुठभेड़ में 12 अगस्त 1980 को मार गिराया था। जिसकी पुष्टि होने के बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ चल रही सुनवाई को 4 सितंबर 1998 को खत्म कर दिया था, लेकिन फूलन के खिलाफ 41 साल से अभी तक मुकदमा विचाराधीन था।

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जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव पोरवाल ने बताया कि गुढ़ा के पुरवा के प्रधान का फूलन की मौत का प्रमाणपत्र व अन्य साक्ष्यों के परीक्षण के बाद अदालत ने मंगलवार को फूलन देवी पर चल रहा मुकदमा खत्म करने का आदेश दे दिया।


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बेहमई नरसंहार से चर्चा में आई थीं फूलन देवी
फूलन देवी का गिरोह 14 फरवरी 1981 को उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात बेहमई में सामूहिक नरसंहार के बाद चर्चा में आया था। फूलन के गिरोह ने बेहमई गांव में 26 ठाकुर वर्ग के लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां बरसाईं थीं। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी और बाकी को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था। इसके बाद से यमुना बीहड़ में डकैत गिरोह की सरदार फूलन ने अपना भय बना लिया था। बेहमई के नरसंहार में पति लाल सिंह की मौत होने पर शादी के चार दिन में ही 16 साल की मुन्नी विधवा हो गई थी। बेहमई नरसंहार में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें राजाराम वादी बने थे। ग्रामीण आज भी कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

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सपा के टिकट पर चुनाव लड़ संसद पहुंची थी फूलन
गौरतलब है कि फूलन देवी ने जुर्म की दुनिया से अलविदा कह आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद जिल से जमानत पर रिहा होने के बाद राजनीति में कदम रख दिया था और सपा के टिकट पर मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और फिर संसद पहुंच गई थीं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में शेर सिंह राणा ने फुलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन पुलिस उनकी मौत होने की 20 साल बाद अब पुष्टि करा सकी।

 

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