Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Jan, 2020 06:27 PM
उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के लीक हुए विवादित वीडियो और पत्र के मामले की जांच मेरठ के पुलिस महानिरीक्षक को सौंपी गई है। सूबे के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि गौतमबुद्धनगर के...
लखनऊः उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के लीक हुए विवादित वीडियो और पत्र के मामले की जांच मेरठ के पुलिस महानिरीक्षक को सौंपी गई है। सूबे के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि गौतमबुद्धनगर के एसएसपी ने सरकार को प्रेषित पत्र को लीक करने सर्विस रूल्स के मानको का उल्लघंन किया है और इसलिये उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक उस पत्र की जांच कर रहे थे जो एसएसपी नोएडा इससे पहले लिखा गया था लेकिन 26 दिसम्बर को उन्होने जांच पूरी करने के लिये 15 दिन का और समय मांगा है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। इसी तरह 31 दिसम्बर को एसएसपी नोएडा ने खुद का वीडियो वायरल होने के बाद इस बारे में सेक्टर 20 थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। और अब वायरल वीडियो के मामले की निष्पक्ष जांच का जिम्मा हापुड़ के पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है।
पुलिस महानिदेशक ने हालांकि एसएसपी नोएडा के गुप्त पत्र पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया जिसमें उन्होने पांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर उनके खिलाफ साजिश रचने का इल्जाम लगाया है। पांचों आईपीएस इस समय जिलो में पुलिस प्रमुख के पदों पर है। डीजीपी ने कहा ‘‘ जांच पूरी होने दीजिए जिसके बाद ही इस बारे में कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है। ''
इस बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर पिछले दिनो कुछ जिलों में भड़की हिंसा के पीछे पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका होने की बात दोहराते हुए पुलिस महानिदेशक ने कहा ‘‘ हमने पीएफआई के कई सदस्यो को गिरफ्तार किया है और भविष्य में भी कुछ औरों के खिलाफ कारर्वाई हो सकती है। हमने इस संगठन को प्रतिबंधित करने के बारे में केन्द्र को पत्र लिखा है। सरकार राष्ट्रविरोधी ताकतों को दंडित करने के लिये कृतसंकल्पित है। '' उन्होने स्वीकार किया कि रिहाई मंच के नेताओं और कुछ सदस्यों पर हिंसा भड़काने का मामला दर्ज करने के बाद कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। संगठन के कार्यकर्ता पीएफआई सदस्यों को समर्थन देने के साथ हिंसा भड़काने की गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं।