Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Jul, 2018 05:28 PM
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार और उसके संबंधित प्राधिकरणों को पश्चिम उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर समेत छह जिलों में सभी हैंडपंप और बोरवेल को सील करने के निर्देश दिए हैं...
लखनऊः राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार और उसके संबंधित प्राधिकरणों को पश्चिम उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर समेत छह जिलों में सभी हैंडपंप और बोरवेल को सील करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायाधिकरण की तरफ से गठित विशेष समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी प्रमुख न्यायाधीश आर्दश गोयल ने उत्तर प्रदेश सरकार और उसके प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि राज्य के पश्चिमी क्षेत्र के गाजियाबाद, मेरठ, शामली, सहारनपुर, बागपत और मुजफ्फरनगर के सभी हैंडपंपों और बोरवेल को सील कर दिया जाए। एनजीटी ने एक विशेष समिति का गठन कर उसके जिम्मे हिडन, कृष्णा और काली नदी के पानी की शुद्धता का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा था।
सर्वेक्षण में पानी में पारे की काफी मात्रा पाई गयी। दोआबा पर्यावरण समिति की तरफ से न्यायाधिकरण में दायर की गयी याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कथित भ्रष्टाचार की वजह से छह जिलों के गरीब बच्चों को पारायुक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। अत्यधिक प्रदूषण की वजह से हैंडपंप और बोरवेल से निकलने वाले पानी में पारे की मात्रा काफी पाई गई है। इसकी वजह से बच्चों को हैपेटाइटिस बी और कैंसर समेत अन्य गंभीर जानलेवा बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है।