Edited By Anil Kapoor,Updated: 02 May, 2020 03:03 PM
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक 12 साल की मासूम बेटी अपने छोटे भाईयों और बहनों सहित 8 लोगों के परिवार को चलाने के लिए शहर की गलियों में सब्जी बेचने के लिए ठेला चला रही है। कोरोना कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी किए गए....
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक 12 साल की मासूम बेटी अपने छोटे भाईयों और बहनों सहित 8 लोगों के परिवार को चलाने के लिए शहर की गलियों में सब्जी बेचने के लिए ठेला चला रही है। कोरोना कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी किए गए लॉकडाउन के बीच मासूम मेहर जहां रात 2 बजे घर से निकलकर सब्जी लेने सब्जी मंडी जाती हैं और वहां से सब्जी खरीदकर ठेले पर उन सब्जियों को सजाकर आसपास की कॉलोनियों में बेचती है। आवास विकास कॉलोनी के निकट काशीराम आवास में रहने वाली बहादुर मासूम मेहरजहा अपने छोटे भाई बहनों को पढ़ाने के साथ वो इन दिनों कड़ी मेहनत कर रही है, जिसकी वजह से उसके हाथों में छाले भी पड़ गए हैं।
जानकारी मुताबिक पिता निजामुद्दीन की अचानक हुई हार्ट अटैक से मौत के बाद उसकी मां आलिया बानो सरकार से मिलने वाली महिला कल्याण विभाग की सहायता राशि और निराश्रित पेंशन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते जब थक गई, तब मेहर ने सब्जी बेचने का फैसला लिया। लॉकडाउन के पहले वो पुलिस लाइन नजदीक लगने वाली सब्जी बाजार में एक जगह सब्जी की दुकान लगाकर सब्जी बेचती थी, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद अब वो सब्जी ठेले पर बेचने के लिए शहर की गलियों में बेचने चली जाती हैं।
अपनी सब्जी को बेचने के लिए मासूम गली-गली जाकर आवाज लगाती है ताकि लोग उसकी आवाज को सुनकर सब्जी खरीदने के लिए बाहर निकलें। नन्ही उम्र में मेहरजहा के हौंसले इतने बुलंद हैं कि इतनी कम उम्र में वो बड़ों-बड़ों को अपने काम के जरिए सोचने पर मजबूर कर रही हैं। मेहर की बदौलत उसके परिवार को दो वक्त की रोटी मिलती है। मेहरजहा का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाकर बहुत अच्छा फैसला लिया है, जिससे वो सभी सुरक्षित हैं।