फिटनेस में पिछड़ जाते हैं भारतीय खिलाड़ी: महेन्द्र सिंह धोनी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 04:21 PM

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भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कहा है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन खेलों में आगे बढऩे के लिए प्रतिभा के साथ बेहतर फिटनेस जरूरी है।  भारतीय टीम को विशेष मुकाम दिलाने वाले पूर्व कप्तान ने शनिवार को यहां स्पोर्ट्स...

लखनऊः भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कहा है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन खेलों में आगे बढऩे के लिए प्रतिभा के साथ बेहतर फिटनेस जरूरी है।  उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं  भारतीय खिलाड़ी फिटनेस में पिछड़ जाते हैं। भारतीय टीम को विशेष मुकाम दिलाने वाले पूर्व कप्तान ने शनिवार को यहां स्पोर्ट्स गैलेक्सी का शिलान्यास किया।  

शिलान्यास करने के बाद धोनी ने कहा खेलों में फिटनेस ही सब कुछ है। फिट हैं तो यह तय है कि आप किसी भी खेल में पारंगत हो जाओगे। इसके लिए आपको बहुत अधिक समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि पहले तो मां-बाप अपने बच्चे को खेलने पर डांटते-फटकारते थे लेकिन अब उनको लेकर खुद मैदान में जा रहे हैं। माता पिता बच्चों को इतनी सहूलियतें दे रहे हैं कि बच्चे गर्मी और लू में मैदान में नहीं टिक पाते हैं जबकि बच्चों को टफ बनाने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि यदि वह क्रिकेटर नहीं होते तो यकीनन फुटबॉलर या बैडमिंटन खिलाड़ी ही होते। स्कूल के दिनों में उनका मन फुटबॉल और बैडमिंटन में बहुत लगता था। इस क्षेत्र में वह अपना भविष्य तलाश रहे थे। बाद में उनका रुझान क्रिकेट की तरफ बढ़ा। पूर्व कप्तान ने कहा कि बड़े खिलाड़ी छोटे शहरों से ही निकलते हैं। छोटे शहरों के खिलाडिय़ों को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने अगले वर्ष होने वाले विश्व कप में खेलने के लिए खुद को फिट बताया और कहा कि वह इसके लिए तैयारी कर रहे है।  

उत्तर प्रदेश के क्रिकेटरों के बारे में धोनी ने कहा कि इस राज्य में क्रिकेट हमेशा अच्छा रहा। यहां के गेंदबाजों को उतने मौके नहीं मिले। सिंविंग पर उनकी पकड़ हमेशा बेहतर रही। उन्होंने कहा, कि प्रदेश में प्रतिभा की कमी नहीं है। अंडर-19 में मैंने खुद यहां के गेंदबाजों का सामना कर अनुभव किया है। क्रिकेट में उत्तर प्रदेश के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगता है कि यहां के कई खिलाडिय़ों ने टीम इंडिया में जगह बनाई है। 

धोनी ने कहा कि ओलंपिक या अन्य बड़े खेल मेले में पदक इंफ्रास्ट्रक्चर से नहीं आते हैं बल्कि खिलाडिय़ों की मेहनत से आते हैं। यह बात सही है कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होगा तभी खिलाड़ी अच्छी प्रैक्टिस कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए तैयार होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते ही लोग यह उम्मीद लगा लेते हैं कि अब अगले ओलम्पिक में भारत की झोली में मेडल आने तय हैं। खिलाड़ी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने में दस साल का समय लग जाता है।  धोनी ने बताया कि स्पोर्ट्स गैलेक्सी में क्रिकेट के अलावा विभिन्न खेलों की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं जब कक्षा पांच या छह में होते हैं, तब उनका झुकाव खेल के प्रति बढ़ता है। 


 

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