Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Mar, 2018 06:24 PM
आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करने वाले कबीरदास की नगरी मगहर में एक ही परिसर में जहां अजान वातावरण में आस्था की मिठास घोलती है। वहीं घंटे घड़यिाल के मधुर संगीत के बीच आरती के सुर भक्ति भाव की गंगा बहाते है। संतकबीरनगर में...
संतकबीरनगरः आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करने वाले कबीरदास की नगरी मगहर में एक ही परिसर में जहां अजान वातावरण में आस्था की मिठास घोलती है। वहीं घंटे घड़यिाल के मधुर संगीत के बीच आरती के सुर भक्ति भाव की गंगा बहाते है।
संतकबीरनगर में स्थित है मगहर
यहां मगहर में कबीर साहेब की समाधि और मजार एक परिसर में स्थित है तो यहीं के रानी बाजार मुहल्ले में एक ही परिसर में स्थित मंदिर और मस्जिद में एक साथ ही आरती और अजान होती है। दोनों संप्रदायों के लोग पूरी निष्ठाभाव से अपने धर्म का पालन करते हुए पूजा और इबादत करते हैं। बताया जाता है कि रानी बाजार मुहल्ला में सैकड़ों साल पहले रानी की सराय थी। जो आज भी रानी की सराय के नाम से जाना जाता था। यह सराय राहगीरों के लिए बनाया गया था। इसी सराय में काली मंदिर और मस्जिद स्थित है जिसमें एक तरफ आरती की धुन गूंजती है वहीं दूसरी तरफ अजान की स्वरलहरी।
दोनों धर्मों के अनुयायी करते हैं सम्मान
दोनों धर्मों के अनुयायी एक दूसरे की भावना का सम्मान व एहेतराम करते हैं। दोनों की दीवार एक दूसरे से सटी हुई है लेकिन कभी कोई विवाद नहीं होता। यद्यपि कुछ समय पहले कुछ सिरफिरों ने रास्ते को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की थी लेकिन दोनों पक्षों के संभ्रांत लोगों ने मिल-बैठ कर विवाद सुलझा लिया। मस्जिद का रास्ता पश्चिम की ओर और मंदिर का रास्ता उत्तर की ओर निकाल दिया गया।
'तुम पढ़ो मस्जिदों में रामायण, मंदिरों में अजान होने दो'
इसके साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल मगहर अपनी विशिष्टता और कबीर साहेब के प्रेम के संदेश को अपनी आत्मा में रचाए-बसाए एकता का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जिसके लिए प्रसिद्ध भोजपुरी कवि और पूर्वांचल के नीरज के नाम से जाने जाने वाले गणेश तिवारी ने कहा था कि अब तो शीतल विहान होने दो, आदमीयत की शान होने दो, तुम पढ़ो मस्जिदों में रामायण, मंदिरों में अजान होने दो।