कोरोना से जंग में ये हैं UP के कुछ महारथी...जिनके लिए स्वार्थ से बढ़कर है सेवा

Edited By Ajay kumar,Updated: 10 Apr, 2020 04:14 PM

in the battle with corona these are some of the hero of up

जब हौसला टूटे तो हौसला बांधने वाला सबसे महान होता है। खतरनाक, जानलेवा कोरोना ने इस युग में पदार्पण किया है। लाखों मौते, हर तरफ भय का माहौल, रूकी हुई दुनिया भला इस माहौल...

यूपी डेस्कः जब हौसला टूटे तो हौसला बांधने वाला सबसे महान होता है। खतरनाक, जानलेवा कोरोना ने इस युग में पदार्पण किया है। लाखों मौते, हर तरफ भय का माहौल, रूकी हुई दुनिया भला इस माहौल में किसका हौसला बचा रह सकता है? इसका जवाब है कि कितना भी बुरा, नकारात्मकता हो मगर उसके पीछे धीरे से अच्छाईयां आ ही जाती है। देश भर में ऐसे सकारात्मक लोग मिल जाएंगे जो अपने कर्तव्य के लिए कोई हिसाब नहीं लगाते...कोई मोल-भाव नहीं करते। आइए आज मिलते हैं उत्तर प्रदेश के कुछ महारथियों से जो कोरोना से जंग में सबसे आगे खड़े होकर देश का नेतृत्व कर रहे हैं।  इसके साथ ही बता रहे हैं सेवा परमो धर्मः ।
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खादी के मास्क बनाकर बांट रही फतेहपुर की रिंकी

बाजार से गायब चल रहे मास्क की डिमांड बढ़ गई है। वहीं मेडिकल स्टोर्स पर मास्क न मिलने से लोगों की परेशानी और भी बढ़ गई है। ऐसे में फतेहपुर शहर के चित्रांशनगर इलाके की रहने वाली रिंकी गांधी आश्रम से खादी के कपड़े मंगवाकर सूती कपड़े का ट्रिपल लेयर मास्क बना रही हैं। वह घर में मास्क तैयार करती हैं। इसके बाद उसे लोगों के बीच निःशुल्क वितरित किया जाता है। घर में रखी हाथ से चलने वाली छोटी सिलाई की मशीन पर ही मास्क बना रही रिंकी दिनभर में 150 से 200 मास्क तैयार कर लेती हैं। मास्क बांटने में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि निःशुल्क वितरित होने वाला यह मास्क गरीबों और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों तक पहुंचाया जा सके। मास्क बांटने जाने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान तो रखते ही हैं और जिन्हें मास्क का वितरण किया जाता है उन्हें कोरोना के खतरे से अवगत भी कराते हैं। साथ ही उन्हें मास्क पहनने से होने वाले कोरोना के बचाव के बारे में भी बताया जाता है।
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मेरठ के जांबाज ने PRF में दे दी जिंदगी भर की कमाई
कोरोना महामारी के कठिन दौर में मेरठ जिले के  सेना से रिटायर्ड एक जूनियर कमीशन ऑफिसर मोहिंदर सिंह ने ग्रेच्युटी, पेंशन और कमाई से जोड़ी गई 15.11 लाख रुपए की रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दी। उन्होंने कहा- मुझे जो भी मिला, इसी देश से मिला है। अब जरूरत है तो मैं देश का पैसा देश को लौटा रहा हूं। बता दें कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी एक आंख गंवा चुका यह जांबाज पत्नी सुमन चौधरी के साथ पंजाब और सिंध बैंक पहुंचे और मैनेजर को चेक सौंप दिया।
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सेवा देने के लिए 1500 किमी की यात्रा पर निकल पड़ा तेलंगाना का रामाकृष्णा
जब पूरा देश कोरोना वायरस से बचने के लिए घरों में कैद हो रहा है, उस समय एक इंसान 1500 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ा। इस सख्श को हर हाल में जल्द से जल्द हैदराबाद से लखनऊ पहुंचना था। दरअसल, उसे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की लैबोरेटरी में पहुंचना था, जहां कोरोना की जांच में वह सहयोग कर सके. यह कहानी तेलंगाना के माइक्रोबायोलॉजिस्ट रामाकृष्णा की है। दरअसल, लखनऊ बुलाने के लिए उन्हें केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग की हेड डॉ. अमिता जैन ने फोन किया था. डॉ. जैन के रिसर्च स्कॉलर रहे रामाकृष्णा इस तरह की जांचों में अहम भूमिका निभा चुके थे। उन्होंने अपनी रिसर्च के दौरान जीका वायरस, स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों की जांच में अहम भूमिका निभाई थी। अब कोरोना की जांच में उनकी जरूरत है। लिहाजा वह दिल में देश की सेवा करने का प्रण लेकर पैदल ही निकल गए।

तमाम डॉक्टर जो देश के लिए मिसाल हैं में से एक डॉ. प्रभात अग्रवाल
लोगों को 21 दिन का लॉक डाउन बहुत बड़ा लग रहा है और वो भी अपने परिवार के साथ, ज़रा हमारे बारे में कोई सोचे। हम तो परिवारवालों से दूर हैं और तब तक दूर रहेंगे, जब तक कोरोना पीड़ितों का इलाज करते रहेंगे। यह वाक्य है कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे एक डाक्टर का जो पिछले 6 दिनों से लगातार या तो हॉस्पिटल या फिर इसके गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। वह 7 दिनों की ड्यूटी पूरी होने के बाद 14 दिन तक क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे। उसके बाद ही घरवालों से मिल पाएंगे। हॉस्पिटल में रहते हुए तो फ़ोन पर ठीक से बात भी नही हो पाती लेकिन किया क्या जाए? बीमारों का इलाज भी तो करना है।" आगरा के सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ प्रभात अग्रवाल पिछले 6 दिनों से कॉलेज में भर्ती कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। डॉ प्रभात ने बताया कि इन दिनों दिन-रात का कोई भेद नहीं रह गया है। मरीजों की सेहत के साथ-साथ बड़ा दबाव इस बात का भी रहता है कि संक्रमण से कैसे बचा जाए?  क्योंकि ड्यूटी के दौरान मरीजों के ही सम्पर्क में रहना पड़ता है। बता दें कि डॉ अग्रवाल 16 लोगों की उस टीम में शामिल हैं, जो कोरोना पीड़ितों के डायरेक्ट संपर्क में हैं। इनमें 2 कंसलटेंट, 3 रेजिडेंट डॉक्टर, 3 नर्स, 3 वार्ड बॉय और 3 स्वीपर शामिल हैं। 2 फार्मासिस्ट भी हैं।
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घर पर रहकर भी परिवार वालों से दूरीः डॉ बलवीर सिंह
वहीं एसएन मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड के इंचार्ज डॉ बलवीर सिंह की कहानी भी बहुत इमोशनल करने वाली है। 2 बच्चों और डॉक्टर पत्नी के साथ रहकर भी वे उनसे दूर हैं। डॉ. बलवीर सिंह ने बताया कि वे अस्पताल का कामकाज खत्म होने के बाद रात में अपने घर लौटते तो हैं लेकिन किसी घरवाले से उनका संपर्क नहीं होता। उन्होंने घर के ग्राउंड फ्लोर पर ही एक कमरे को अपने लिए चुन लिया है। अस्पताल से लौटने के बाद वे सीधे उसी कमरे में जाते हैं। कपड़ों को ब्लीचिंग पाउडर के घोल में डालते हैं। जूतों को सेनिटाइज करते हैं। अच्छे से नहाने-धोने के बाद खाना उसी कमरे में घरवाले दे जाते हैं। फिर अगली सुबह नाश्ता करके अस्पताल पहुंच जाना होता है।
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खिलाड़ी ने बेच दी अपनी जिंदगी भर की ट्रॉफी
कोरोना संघर्ष में देश के हर नागरिक अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दे रहे हैं। ऐसे में ग्रेटर नोएडा के एक 15 वर्षीय गोल्फर ने भी अपनी ट्रॉफियां बेचकर पीएम केयर्स फंड में योगदान दिया है। ट्रॉफियां जिंदगी की बहुत बड़ी विरासत होती है। जिसे खुशी-खुशी अर्जुन भाटी ने देश को दे दिया। अर्जुन ने कहा कि आठ वर्षों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में जीती गई 102 ट्रॉफियों की नीलामी की हैं और कोरोना वायरस वायरस से लड़ने के लिए बनाए गए पीएम केयर्स फंड में 4.30 लाख रुपये दान दिये हैं। उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी साथ ही फंड में सहयोग की रसीद भी साझा की। ये सुनकर दादी रोईं फिर बोलीं तू सच में अर्जुन है, आज देश के लोग बचने चाहिए ट्रॉफी तो फिर आ जाएंगी। ' अर्जुन के इस ट्वीट को पीएम नरेन्द्र मोदी ने रिट्वीट करते हुए कहा कि देशवासियों की यही वो भावना है, जो कोरोना महामारी के समय सबसे बड़ा संबल है।

सुल्तान दर्जी ने 10000 मास्क बनाकर बांटे
देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है जिसके बचाव के मद्देनजर इसके लिए फेस मास्क और सिनेटाइजर जैसी अन्य जरूरत के सामानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद आम लोगों तक फेस मास्क नहीं पहुंच पा रहे हैं। देश में मास्क की कमी को देखते हुए बाराबंकी के मसौली गांव के दर्जी सुल्तान ने फेस मास्क की कमी को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली है। वह दिन-रात मेहनत करके मास्क बना रहा है और लोगों में निशुल्क वितरित कर रहे हैं। वो अब तक तकरीबन 10000 से भी ज्यादा फेस मास्क अपने हाथों से बनाकर क्षेत्र के लोगों में निशुल्क रूप से बाट चुके हैं। साथ ही मास्क बनाने का काम लगातार जारी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित क्षेत्र के पुलिसकर्मियों को भी सुल्तान टेलर ने फेस मास्क दिए हैं।
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कर्तव्य के लिए टाल दी शादी
यूपी के पीलीभीत में तैनात दो महिला पुलिसकर्मियों ने फर्ज के एक अनोखी मिसाल पेश की है। 112 की पीवीआर में तैनात महिला कांस्टेबल सुमन यादव और शीतल चौधरी के विवाह की तारीख तय होने के बाद हालात को देखते हुए दोनों ने शादी को टालकर मिसाल पेश की। दोनों युवा सिपाहियों के जज्बे को पुलिस कप्तान अभिषेक दीक्षित ने भी खुले दिल से सराहा है।

बता दें कि सुमन यादव प्रतापगढ़ की रहने वाली है और उसकी शादी 23 मई को होनी थी जबकि शीतल चौधरी  बिजनौर की रहने वाली है और उसकी शादी 20 अप्रैल को होनी थी। दोनों सिपाहियों के इस कदम से पुलिस महकमे का सीना चौड़ा है। दोनों परिवारों में शादी की तैयारियां शुरू भी हो गई थीं, लेकिन अचानक कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप ने अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया।

 

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