Edited By Anil Kapoor,Updated: 16 Oct, 2018 04:26 PM
एएमयू के छात्र हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी मन्नान वानी के मारे जाने के बाद सियासत गरमा गई है। राजनीति के कई दिग्गज नेता इसके समर्थन में बोलते हुए दिख रहे हैं। देश की नामचीन यूनिवर्सिटी में शुमार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कश्मीरी छात्रों...
लखनऊ: एएमयू के छात्र हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी मन्नान वानी के मारे जाने के बाद सियासत गरमा गई है। राजनीति के कई दिग्गज नेता इसके समर्थन में बोलते हुए दिख रहे हैं। देश की नामचीन यूनिवर्सिटी में शुमार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कश्मीरी छात्रों द्वारा नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश करने के बाद देशद्रोह का केस दर्ज होने पर सियासत गरमा गई है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
इस मामले में महबूबा मुफ्ती ने हस्तक्षेप करने की मांग करने के साथ यह भी कहा है कि छात्रों को अपने साथी को याद करने का पूरा हक है। इसके उपर पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि छात्रों की आवाज दबाने के परिणाम अच्छे नहीं होंगे। छात्रों पर से केस वापस लिए जाने पर केंद्र हस्तक्षेप करे और एएमयू प्रशासन उनका निलंबन वापस ले। जम्मू-कश्मीर के बाहर की राज्य सरकारों को स्थिति पर संवेदनशील होना चाहिए, ताकि इनके अलगाव को रोका जा सके।
इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपने अगले ट्वीट में लिखा है कि 'छात्रों को अपने सहपाठी जो कि कश्मीर में लगातार हिंसा का पीड़ित हो, उसे याद करने के लिए सजा देना गलत होगा। आपको बता दें कि मन्नान वानी एएमयू से पीएचडी कर रहा था। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एके-47 के साथ उसकी एक तस्वीर शेयर हुई थी। जिसके बाद प्रशासन ने मामले को गंभीरता के साथ लेते हुए उसे निलंबित करने का फैसला लिया। इससे पिछले 4 दिनों से एएमयू प्रशासन और कश्मीरी छात्र आमने-सामने हैं।
इसके बाद इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छो़ड़कर जाना चाहते हैं, मैं उम्मीद करता हूं कि मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।