IIIT इलाहाबाद : सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, संपूर्ण विकास पर भी दिया जाए जोर

Edited By Ruby,Updated: 20 May, 2018 02:33 PM

iiit allahabad not only book knowledge but also on full development

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ने स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई को गुरुकुल व्यवस्था के मुताबिक ढालने की तैयारी की है। आगामी अकादमिक सत्र से विद्यार्थियों को सतत आंकलन की व्यवस्था के तहत अध्ययन का मौका मिलेगा। विद्यार्थियों की पढ़ाई...

इलाहाबादः भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ने स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई को गुरुकुल व्यवस्था के मुताबिक ढालने की तैयारी की है। आगामी अकादमिक सत्र से विद्यार्थियों को सतत आंकलन की व्यवस्था के तहत अध्ययन का मौका मिलेगा। विद्यार्थियों की पढ़ाई के सतत आंकलन की व्यवस्था शुरू करने जा रहा आईआईआईटी, देश का पहला सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान है। संस्थान के शीर्ष नीति निर्माता समूह ने गत 5 दिसंबर, 2017 को इस संबंध में एक अध्यादेश को मंजूरी दी और 8 दिसंबर को संचालक मंडल ने इसका समर्थन किया। नया अध्यादेश आगामी अकादमिक सत्र से प्रभावी होगा।     

विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान देने की नयी पद्धति की शुरू
आईआईआईटी, इलाहाबाद के निदेशक प्रोफेसर पी. नागभूषण ने बताया,हमने विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान देने की नयी पद्धति शुरू की है जिसमें वह केवल किताबी ज्ञान हासिल करने की बजाय जीवन के हर क्षेत्र में कुशल बन सकेंगे। नागभूषण ने कहा, हमारा मानना है कि पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ साथ कौशल विकास भी जरूरी है। इसके अलावा, आकलन के दौरान विद्यार्थी को यह एहसास होना चाहिए कि वह कुछ सीख रहा है। कुल मिलाकर विद्यार्थी का आकलन उसके सीखने की क्षमता के आधार पर किया जाएगा, न कि उत्तर देने की क्षमता के आधार पर।’’ 

विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य 
नागभूषण ने कहा कि नई शिक्षा पद्धति में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। यदि उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम होगी तो माना जाएगा कि अमुक विद्यार्थी ने पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया है और उसे छूट चुके पाठ्यक्रम को फिर से पढऩा पड़ेगा। विद्यार्थियों को एक संपूर्ण इंजीनियर बनाने के उद्देश्य से उन्हें जीवन की व्यावहारिकता से परिचित कराने के लिए आईआईआईटी, इलाहाबाद ने तैराकी, बागवानी, कैटरिंग, कुकिंग, मेस और छात्रावास प्रबंधन जैसे 60 कौशलों की एक सूची बनाई है। नागभूषण ने कहा कि इंजीनियरिंग करने का मतलब केवल नौकरी हासिल करना नहीं है, बल्कि समझ विकसित करना और जीवन के मूल्यों की समझ विकसित करना भी है। इन अन्य कौशल पाठ्यक्रमों के जरिए छात्रों को राष्ट्र के प्रति अपना ²ष्टिकोण विकसित करने का अवसर मिलेगा।   

विद्यार्थियों द्वारा खुदकुशी करने की घटनाओं के मां-बाप जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि आज के समय की शिक्षा व्यवस्था विद्यार्थी को परीक्षा के लिए तैयार करती है जिसमें यह सिखाया जाता है कि किस प्रश्न का क्या उत्तर लिखना है । परीक्षा में प्रश्न अक्सर विद्यार्थियों को चिंता में डाल देते हैं। परीक्षा भी सीखने का अनुभव होनी चाहिए। मौजूदा समय में इंजीनियरिंग संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा में असफल होने वाले विद्यार्थियों द्वारा खुदकुशी करने की घटनाओं के संबंध में नागभूषण ने कहा कि इसके लिए मां-पिता और समाज जिम्मेदार है।  उन्होंने कहा कि यदि कोई बच्चा बहुत अच्छी अंग्रेजी या हिंदी लिख लेता है और उसकी रुचि लेखन के क्षेत्र में जाने की है तो मां-बाप के तौर पर हम उसे पत्रकारिता या रचनात्मक लेखन के क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित क्यों नहीं करते.. हम उसे इंजीनियर क्यूं बनाना चाहते हैं। हम अपनी आकांक्षाओं का बोझ बच्चों के सिर पर न डालें और बच्चे को उसकी पसंद के रास्ते पर चलने दें।     
 

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