Edited By Ajay kumar,Updated: 29 Mar, 2019 04:51 PM
69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने चौंकाने वाला फैसला लिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती परीक्षा-2019 के संबंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश निरस्त कर दिया है।
इलाहाबाद: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने चौंकाने वाला फैसला लिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती परीक्षा-2019 के संबंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश निरस्त कर दिया है। अब इसके स्थान पर नया शासनादेश देर शाम जारी कर सकता है। बता दें कि निरस्त किए गए शासनादेश के द्वारा जनरल व रिजर्व कैटेगरी के लिए क्रमश: 65 व 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग माक्र्स घोषित किया गया था।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा कि पिछले सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की भांति क्वालिफाइंग माक्र्स तय करते हुए रिजल्ट तीन महीने में घोषित करें। उल्लेखनी है कि 2018 भर्ती परीक्षा में 40 से 45 प्रतिशत क्वालिफाइंग माक्र्स था।
सरकार ने 1 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया प्रारम्भ की थी। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। बाद में 7 जनवरी को सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग माक्र्स तय कर दिए थे। सरकार के इसी निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचियों का तर्क है कि एक बार लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग माक्र्स तय करना विधि विरुद्ध है। वहीं सरकार की दलील है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।
40-45 प्रतिशत क्वालिफाइंग माक्र्स पर होगी भर्ती
खबरों के मुताबिक लखनऊ खंडपीठ ने इस बार भी क्वालिफाइंग माक्र्स 40 से 45 प्रतिशत तय किया है। हालांकि अभी आर्डर पब्लिश नहीं हुआ है। इसके साथ ये भी कहा जा रहा है कि कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को 3 माह के भीतर संपन्न कराने की बात कही है।