Edited By Deepika Rajput,Updated: 07 May, 2019 09:34 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता।
प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग एवं आयुषी जायसवाल के बीच तलाक से इंकार करने के परिवार न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट की धारा-13 बी के तहत एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है। दोनों की शादी 09 जुलाई, 2018 को हुई थी। दोनों 12 अक्टूबर को अलग रहने लगे और 20 दिसम्बर को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया। परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया जिसे अपील में चुनौती दी गई थी।
अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना संभव नहीं है। वे अलग रहना चाहते हैं। इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी है। एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वैधानिक व्यवस्था को माफ नहीं कर सकती। तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है।