HC का निर्देश- जमानत याचिका पर विचार करते वक्त आरोपी के आपराधिक इतिहास पर भी दें ध्यान

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 20 Dec, 2020 08:30 AM

hc directive while considering bail plea pay attention to the criminal

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सभी निचली अदालतों को सोमवार को निर्देश दिया कि वे आरोपी व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय करते समय उनके आपराधिक

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सभी निचली अदालतों को सोमवार को निर्देश दिया कि वे आरोपी व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय करते समय उनके आपराधिक इतिहास पर ध्यान दें और यदि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास है तो उसका संपूर्ण ब्योरा भी दें। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, तो अदालतें इस तथ्य को रिकॉर्ड में रखें।

बता दें कि फिरोजाबाद निवासी उदय प्रताप उर्फ दाऊ ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी जमानत याचिका में यह दावा किया कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, लेकिन राज्य सरकार के वकील ने पुलिस अधिकारियों से प्राप्त सूचना के आधार पर बताया कि आवेदक सात अन्य आपराधिक मामलों में शामिल है। अदालत ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया।

न्यायमूर्ति समित गोपाल ने उदय प्रताप की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, “निचली अदालतें जमानत याचिका खारिज करते समय आरोपी के आपराधिक इतिहास के बारे में मौन रहती हैं, लेकिन अपर महाधिवक्ता या प्राथमिकी दर्ज करने वाले व्यक्ति से मिली सूचना से पता चलता है कि आरोपी का पिछला आपराधिक इतिहास है।” अदालत ने कहा, “जब आरोपी के वकील से इस बारे में पूछा जाता है तो यह उसके लिए असमंजस की स्थिति पैदा करता है और साथ ही आरोपी द्वारा आपराधिक इतिहास के बारे में खुलासा नहीं करने से जमानत की अर्जी पर निर्णय करने में बाधा पैदा होती है।

 

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