साइबेरियन पक्षियों की अठखेलियों से एक बार फिर गुलजार संगम तट

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 14 Nov, 2019 01:26 PM

gulzar sangam beach once again from siberian birds  habitat

तीर्थराज प्रयाग कि पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अद्दश्य सरस्वती का संगम तट साइबेरियन पक्षियों के कलरव और अठखेलियों से एक बार फिर गुलजार हो गया है। सर्दी की आहट शुरू होने के कुछ दिन पहले संगम पर प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया। संगम पहुंचने...

प्रयागराजः तीर्थराज प्रयाग कि पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अद्दश्य सरस्वती का संगम तट साइबेरियन पक्षियों के कलरव और अठखेलियों से एक बार फिर गुलजार हो गया है। सर्दी की आहट शुरू होने के कुछ दिन पहले संगम पर प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया। संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही देशी-विदेशी पर्यटक भी हजारों मील से उड़कर यहां पहुंचे।
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संगम के जल में विदेशी मेहमानों के कलरव और अठखेलियों को देखकर पर्यटक आनन्द की अनुभूति महसूस करते हैं। इनके पहुंचने से संगम तट के सौंदर्य में और भी निखर आ जाता है। संगम तट पर सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। शाम ढलते-ढलते यहां का नजारा और भी बेहतरीन हो जाता है। सात समंदर पार से आने वाले साइबेरियन पक्षियों को घाटों पर देखकर सैलानियों को काफी सुकून मिलता है।
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माघ मेले से पहले ठण्ड शुरू होते ही साइबेरियन पक्षी यहां क्रीड़ा करते हुए बिताते हैं और गर्मी शुरू होते ही अपने वतन को लौटना शुरू कर देते हैं। ये मेहमान पक्षी स्वीटजरलैंड, साइबेरिया, जापान, और रूस समेत विश्व के अन्य ठंडे देशों से सर्दियों में संगम की ओर कूच करते हैं और गर्मी शुरू होने पर अपने वतन लौट जाते हैं। गंगा की लहरों पर इनकी अठखेलियां देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी यहां पहुंचे हैं। एक तरफ ये पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपनी खूबसूरती से संगम की शोभा बढ़ा रहे हैं। लोग घंटों तक घाट पर बैठकर गंगा में अठखेलियां करते इन विदेशी पक्षियों को निहारते रहते हैं।

इतना ही नहीं, लोग इनकी मेहमान नवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कोई इन्हें बेसन से बने सेव तो कोई पपड़ी खिलाता है तो वहीं, ये पक्षी भी बहुत चाव से खाते हैं। नाव चलाने वाले मल्लाह दीपक, राम बरन और महादेव बताते हैं कि साइबेरियन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं। वो नाव पर बैठकर नदी की सैर करते हैं और पक्षियों को दाना भी खिलाते हैं। इस लिहाज से ठंड के महीनों में उनके साथ-साथ घाट पर दाना बेचने वाले, चाय-पान की दुकान लगाने वालों की भी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।

जल पुलिस प्रभारी कड़ेदीन यादव ने बताया कि हर साल संगम पहुंचने वाले इन विदेशी मेहमानों का जहां पर्यटकों को बेसब्री से इन्तजार रहता है, वहीं इनको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके इसके लिए अवैध शिकार पर कडाई से पाबन्दी लगाई गयी है। इसके साथ ही पुलिस और वन विभाग भी तट पर सुरक्षा के लिए चौकन्ने रहते हैं।








 

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